दिव्यांगों के नाम पर 1000 करोड़ का घोटाला, CBI करेगी जांच

साल 2004 में SRC की स्थापना दिव्यांगों के पुनर्वास और तकनीकी सहायता के लिए की गई थी। इसके बाद 2012 में PRRC शुरू किया गया ताकि दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और चिकित्सा सहायता मिल सके।

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  • Publish Date - September 25, 2025 / 12:49 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के कल्याण के नाम पर 1000 करोड़ रुपये से अधिक का बड़ा घोटाला सामने आया है। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया है। यह घोटाला स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC) के नाम पर किया गया, जो दिव्यांगों के पुनर्वास और सहायता के लिए बने थे, लेकिन इनका अस्तित्व कागजों तक ही सीमित रहा।

कोर्ट ने कहा है कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि व्यवस्थित भ्रष्टाचार है, जिसमें सरकारी फंड को फर्जी कर्मचारियों और मशीनों के नाम पर निकालकर लूटा गया।

इस घोटाले में पूर्व मंत्री रेणुका सिंह और सात से अधिक रिटायर्ड IAS अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। हालांकि रेणुका सिंह के खिलाफ फिलहाल कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है क्योंकि याचिका में उनके खिलाफ कोई स्पष्ट मांग नहीं थी।

क्या है पूरा मामला

साल 2004 में SRC की स्थापना दिव्यांगों के पुनर्वास और तकनीकी सहायता के लिए की गई थी। इसके बाद 2012 में PRRC शुरू किया गया ताकि दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और चिकित्सा सहायता मिल सके।

लेकिन RTI से सामने आया कि ये संस्थान वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं थे और इनकी आड़ में करोड़ों रुपये वेतन, उपकरण खरीद और अन्य मदों में निकाल लिए गए।

याचिका क्यों दाखिल हुई?

रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने 2018 में जनहित याचिका दायर की। उन्होंने बताया कि उनके नाम से PRRC में फर्जी नियुक्ति दिखाकर वेतन निकाला गया, जबकि उन्होंने वहां कभी काम ही नहीं किया। RTI के जरिए जब उन्होंने जानकारी मांगी तो उन्हें धमकियां भी दी गईं।

क्या-क्या अनियमितताएं मिलीं?

  • SRC का 14 साल तक ऑडिट नहीं हुआ

  • 31 वित्तीय गड़बड़ियां सामने आईं

  • फर्जी नामों से वेतन निकाला गया

  • मशीनों और कृत्रिम अंगों की खरीद नहीं हुई, फिर भी भुगतान दिखाया गया

  • सभी भुगतान कैश में किए गए, जिससे रिकॉर्ड ट्रेस करना मुश्किल हो गया

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि

“राज्य सरकार अपने उच्च अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है। जांच अधूरी और असंगत है। यह सिर्फ दिव्यांगों के अधिकारों का हनन नहीं बल्कि जनता के पैसे की खुली लूट है।”

कोर्ट ने CBI को पहले से दर्ज FIR के आधार पर दस्तावेज ज़ब्त करने और निष्पक्ष जांच जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

इन पर लगे हैं संलिप्तता के आरोप

  • रेणुका सिंह (पूर्व मंत्री)

  • विवेक ढांड (रिटायर्ड IAS)

  • एमके राउत

  • आलोक शुक्ला

  • सुनील कुजूर

  • बीएल अग्रवाल

  • सतीश पांडेय

  • पीपी श्रोती

राज्य सरकार की पिछली जांच में इस मामले को सिर्फ प्रशासनिक खामी बताकर दबाने की कोशिश हुई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने CBI को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जारी रखने के लिए कहा है, जिससे दोषियों तक पहुंचा जा सके।