छत्तीसगढ़। अगले साल चुनावी आहट से सियासतदान सक्रिय हो गए हैं। एक-दूसरे के अधूरे वादे को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस के (alcoholism) शराबंदी के अधूरे वादे को BJP मुद्दा बनाने पर जुटी है। क्योंकि यही वह मुद्दा है, जिसे लेकर सत्ता में कांग्रेस आई थी। लेकिन वादा पूरा नहीं कर सकी। जिसे लेकर एक बार फिर सियासी प्याले में ‘शराब’ बंदी छलकी उठी है।
BJP की सांसद सरोज पांडेय ने शराबबंदी के सवाल पर कांग्रेस को घेरने में जुट गई हैं। उन्होंने दुर्ग में मीडिया से चर्चा में कहा, अगर भाजपा दोबारा से सत्ता में आती है तो शराबबंदी नहीं करेगी, ऐसा कोई वादा भाजपा का नहीं है। मगर कांग्रेस ने ये वादा करके जनता के साथ विश्वासघात किया है। जिस पर कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए आरोप जड़ दिए 15 साल तो शराब का ही गोरखधंध बीजेपी ने ही किया है। शराब दुकानों का सरकारीकरण BJP ने ही तो किया है।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा- हमने शराब बंदी का पहले भी कोई वादा नहीं किया था,अब भी नहीं कर रहे है। आने वाले समय में शराबबंदी करेंगे, ये नहीं कह रहे हम। मगर कांग्रेस पार्टी ने गंगाजल हाथ में लेकर वादा किया और जनता के साथ विश्वासघात किया। अब महिलाओं ने पल्लू में गांठ बांध ली है कि वो प्रदेश में भाजपा की सरकार वापस लाएंगी और कांग्रेस को बाहर करेंगी।
कांग्रेस ने सत्ता में ४ साल पूरे कर लिए हैं, सांसद सरोज पांडे ने कहा कि इन ४ सालों में कांग्रेस ने सिर्फ झूठ बोला है, महिलाओं पर अत्याचार के आंकड़े बताते है कि कैसे अपराध बढा है। इन दिनों सरोज पांडे प्रदेश में लगातार दौरे कर रही हैं। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात करते हुए भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल तैयार कर रही हैं।
राज्यसभा सांसद सरोज पांडे के बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस ने पलटवार किया है। पार्टी के प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने बताया कि पहली बात तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बननी नहीं है। भाजपा तो प्रदेश में शराब के धंधे में संलिप्त रही, शराब का सरकारी करण किया। एमपी में तो महिलाओं के लिए भाजपा शराब दुकानें खोल रही है। आंध्र प्रदेश में कम कीमतों पर शराब बेच रही है। सरोज पांडे ने भाजपा की मानसिकता को स्पष्ट किया है। भाजपा शराब की पक्षधर है।
अगस्त के महीने में तय किया गया था कि शराबबंदी का फॉर्मूला समझने छत्तीसगढ़ की कमेटी अब दूसरे राज्यों का दौरा करेगी। कमेटी के अध्यक्ष विधायक सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि इसे लेकर एक बैठक रखी गयी थी और शराबबंदी वाले राज्यों का अध्ययन दौरा करने का फैसला लिया गया है। हालांकि इसके बाद हुआ कुछ नहीं। कांग्रेस के प्रवक्त और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा खुद ये कहते रहे हैं कि प्रदेश में एकाएक शराबबंदी नहीं हो सकती। ये समाज के लोगों को तय करना होगा। अब तक शराबंदी को लेकर इसी वजह से कंफ्यूजन की स्थिति है। प्रदेश सरकार को डर है कि पूरी तहर से शराबबंदी हुई तो तस्करी होगी नकली शराब का धंधा बढ़ेगा। इसलिए अब तक इस पर सरकार ने कोई सख्त फैसला किया नहीं है।