गजब का फर्जीवाड़ा : जहां सड़क पर धान खेती, सालों से मंडी में अनाज भी बेचते हैं

सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड स्थित ग्राम पंचायत करसी का बताया जा रहा है। जहां सड़क की पूरी जमीन का फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा बनाकर

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  • Updated On - October 24, 2024 / 08:39 PM IST

  • सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत करसी का मामला
  • इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई की मांग
  • सूरजपुर में ऐसा गांव जहां सड़क पर उगती है धान, कई वर्षों से हितग्राही मंडी में बेच रहा अनाज

सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड स्थित ग्राम पंचायत करसी का बताया जा रहा है। जहां सड़क की पूरी जमीन का फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा बनाकर हितग्राही के द्वारा हर साल बिना खेती के ही मंडी में धान बेचा(Paddy sold in the market without cultivation) जा रहा है। अब वन अधिकार पट्टा जारी का मामला उजागर होने के पश्चात उक्त फर्जीवाड़े मामले (Fraud cases)में सम्मिलित सभी लोगों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग उठने लगी है।

एक ऐसी सड़क जहां धान पैदा होती

ग्राम करसी के खसरा नंबर 791/ 2 का मामला है। जहाँ उक्त भूमि सड़क की बताई जा रही है। लेकिन इसमें हर साल धान उगता है। मामला प्रतापपुर तहसील के धान खरीदी के नाम पर विचौलियों को सक्रियता और फर्जीवाड़े की बातें हमेशा कार्यवाही हो या न हो, लेकिन अब जो मामला प्रतापपुर तहसील के करसी से सामने आ रहा है। वह अजीब है। यहां एक ऐसी सड़क है जो धान पैदा करती है। लेकिन वास्तविकता में नहीं बल्कि कागजों में इस सड़क का वन अधिकार पट्टना बन गया है। हर साल धान टुकूडांड समिति में बिक भी रहा है।

हर साल लाखों का सरकार को चुना

इसके बाद से लगातार वे टुकुडांड समिति में धान बेच रहे हैं और हर साल लाखों का चुना सरकार को लगा रहे हैं। चूंकि यह जमीन सड़क है इसलिए इसमें खेती नहीं होती है और धान कागजों में पैदा होता है और कागजों में ही बिक जाता है। सड़क धान उगाता है और इसका फर्जी मालिक धड़ल्ले से धान बेच हर साल लाखों कमा रहा है जो राशि उसे धान की कीमत और बोनस के रूप में मिल रही है। बरहाल यह गंभीर मामला है, जांच का विषय है कि सड़क की जमीन उसके नाम से कैसे हो गई। बन अधिकार पट्टा कैसे बन गया और इस जमीन के नाम से वह धान कैसे बेच रहा है। मामले जांच के साथ दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग हो रही है।

गिरदावरी में भी धान की खेती

छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी से पहले गिरदावरी का नियम बनाया गया है जिसमें संबंधित पटवारी जमीन बार इस चात का सत्यापन करते हैं कि उक्त जमीन में धान की खेती हुई है या नहीं। मिली जानकारी के अनुसार खसरा नंबर 791/2 जो रिकॉर्ड में सड़क है को भी गिरदावरी में खरीफ फसल बता दिया गया। इससे यह साफ हो रहा है कि और भी जमीनें होंगी जहां के नाम से फर्जी तरीके से धान बेचा गया होगा और जांच के बाद ही सामने आ सकता है।

कलेक्टर से शिकायत, वृहद जांच की मांग

मिली जानकारी के अनुसार मामले को लेकर कलेक्टर सूरजपुर से शिकायत की गई है, शिकायत में टुकुडांड समिति में अब तक वर्षवार बिके धान से संबंधित जमीनों का भौतिक सत्यापन करने, जमीन किस मद में दर्ज है. धान किसने बेचा और पैसे किसके खाते में आए वन अधिकार पट्टा वाली जमीनें कितनी हैं जिनमें धान बिका, पट्टा सही है सहित अन्य बिंदुओं पर जांच की मांग की गई है। शिकायत में इस समिति से खाद वितरण की जांच भी करने की मांग की गई है जिससे यह पता चल सके कि खाद सही किसानों ने लिया है या फर्जी।

फर्जीवाड़े का ऐसे खुला राज

भू अधिकार अभिलेख में सड़क मद में दर्ज इस जमीन का मूल खसरा नंबर 791 है. सड़क बड़कापारा से ग्राम पंचायत के बॉर्डर तक है और इसी सड़क के आधे हिस्से में धान पैदा हो रहा है, इसका वन अधिकार पट्टा बन गया है ।स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह बात तब सामने आई जब पंचायत इसमें सीसी सड़क बनाना चाहता था और स्वीकृति के लिए जरूरी नक्शा खसरा लेने राजस्व विभाग गए। बताया जा रहा है कि यह मामला पूरे गांव में सामने आ गया है और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग हो रही है।

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