रायपुर, 30 सितम्बर 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 अगस्त 2024 को शुरू किए गए “बाल विवाह मुक्त भारत” (child marriage) अभियान के तहत छत्तीसगढ़ ने देश में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बालोद जिला देश का पहला जिला बन गया है जिसे आधिकारिक रूप से बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है। जिले की सभी 436 ग्राम पंचायतों और 9 नगरीय निकायों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए हैं।
पिछले दो वर्षों में बालोद जिले में बाल विवाह का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। सभी दस्तावेजों की जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद यह दर्जा मिला है। बालोद अब पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन गया है।
जिला कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने इस उपलब्धि को प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आम लोगों की साझा कोशिश बताया। उन्होंने सभी पंचायतों और निकायों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
सूरजपुर जिले की 75 ग्राम पंचायतों को भी बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है। यह घोषणा प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर की गई। पिछले दो वर्षों में यहां भी कोई बाल विवाह की घटना दर्ज नहीं हुई।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2028-29 तक पूरे छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह केवल सरकारी योजना नहीं बल्कि समाजिक बदलाव का संकल्प है। जिन जिलों में पिछले दो साल में बाल विवाह के मामले नहीं आए हैं, वहां भी जल्द प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इसे छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज की साझेदारी से ही यह बदलाव संभव हुआ है। यूनिसेफ ने भी इस अभियान में तकनीकी सहयोग और जागरूकता फैलाने में मदद की है।
राज्य सरकार अब बाकी जिलों को भी बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए काम तेज कर रही है। छत्तीसगढ़ की यह पहल “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान को मजबूती देने वाली है और अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगी।