जिस जगह 76 जवान हुए थे शहीद, वहां सामुदायिक केंद्र को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

सुकमा जिले में नक्सली मूवमेंट पर मंसूबों पर बड़ी चोट पहुंची है। जिस जगह में नक्सली अपना गढ़ मानते थे, वहां एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को

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  • Updated On - December 19, 2024 / 08:26 PM IST

  नक्सली हमले में बच्चों को बचाने वाले आरएमए मुकेश बख्शी का भी अमूल्य योगदान

रायपुर। सुकमा जिले में नक्सली मूवमेंट पर मंसूबों पर बड़ी चोट पहुंची है। जिस जगह में नक्सली अपना गढ़ मानते थे, वहां एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को राष्ट्रीय पुरस्कार(National Award to Community Health Center) मिला है। इसे इसलिए महत्वपूर्ण नजरिए से भी देखा जा रहा है कि क्योंकि इसी चिंतागुफा नामक स्थान पर 76 जवान नक्सली हमले में शहीद(76 soldiers martyred in Naxalite attack at a place called Chintagufa) हुए थे। तब से इस क्षेत्र में लोगों में एक खौफ कायम हो गया था। लेकिन नक्सलियों के इस हमले वाले स्थान पर सरकार ने सुरक्षा बलों के सहयोग से विकास की धारा बहाई और उसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कड़ी में चिंतागुफा में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापाना की, जहां सभी सुविधाएं लोगों को सुचारू रूप से मिल रही हैं। अब इसे केंद्र सरकार के राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है। स्वास्थ्य केंद्र को 89.69 प्रतिशत का उत्कृष्ट स्कोर प्राप्त हुआ है।

इस वजह से राष्ट्रीय पुरस्कार मिला

15 व 16 नवंबर 2024 को केंद्र सरकार की एनक्वास टीम ने चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र का मूल्यांकन किया था। ओपीडी, आईपीडी, लैब, लेबर रूम और प्रशासनिक कार्य जैसे सभी विभागों की समीक्षा में उच्च रैंक हासिल किया।

चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत पांच उप स्वास्थ्य केंद्र हैं

चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत पांच उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें 45 घोर नक्सल प्रभावित गांव आते हैं। सुकमा कलेक्टर के अपहरण के बाद रिहाई का क्षेत्र हो या बुरकापाल में बलिदानियों की याद, सब इसी इलाके की घटना है।

कोंटा विकासखंड अंतर्गत स्थित यह क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावित है, जिसके अंदरूनी गांवों में आज भी नक्सलियों की दहशत है। हालांकि, बदले हालात में नक्सली कमजोर हो रहे हैं और लोगों तक सरकारी मदद पहुंच रही है।

आरएमए मुकेश बख्शी की सेवा भावना ने बदली तस्वीर

चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र 2009 में आरएमए मुकेश बख्शी की पदस्थापना से अस्तित्व में आया था। 11 अप्रैल 2011 को नक्सलियों ने एंबुलेंस पर हमला कर दिया, जिसमें आरएमए मुकेश बख्शी और कई बच्चे मौजूद थे। आरएमए एंबुलेंस में बच्चों को बेहतर इलाज के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र दोरनापाल जा रहे थे।

इसी दौरान नक्सलियों ने एम्बुस लगाकर एंबुलेंस पर गोलीबारी की। हालांकि, किस्मत से किसी को गोली नहीं लगी। नक्सलियों ने सभी को नीचे उतार कर जमीन पर लिटाकर बंदूक टिका दिया था।

आरएमए मुकेश बख्शी के बार-बार निवेदन करने पर नक्सलियों ने सभी को छोड़ दिया। बख्शी ने सेवा भावना से लोगों का दिल जीतकर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की नींव मजबूत की। बक्शी को धन्वंतरी और हेल्थ आइकान सम्मान दिया गया है।

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