रायपुर। कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी (Congress’s new state executive) जल्द ही जारी हो सकती है। इसमें 150 से अधिक सदस्य होंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित हुए प्रस्ताव का पालन करते हुए 50 प्रतिशत पदों पर 50 साल से कम उम्र वालों को मौका दिया जाएगा। इसी के तहत 42 साल के दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष (Deepak Baij) बनाया गया है। नई कार्यकारिणी में तीन नए महामंत्री होने की संभावना भी जताई जा रही है। बाकी 90 सचिव और 25 संयुक्त महासचिव होंगे। एक-दो उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को भी बदला जा सकता है।
इसको लेकर हाल ही में दिल्ली में प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और तीनों सह प्रभारी चंदन यादव, विजय जांगिड़, सप्तगिरी उल्का के साथ बैठक की थी। सभी के नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के ऑफिस में यह सूची पहुंच चुकी है। सूत्रों की मानें तो इसी सप्ताह नई कार्यकारिणी जारी कर दी जाएगी।
प्रभारी महामंत्री हो सकते हैं गिरीश या मलकीत
चर्चा है कि अमरजीत चावला ने महामंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने प्रभारी कुमारी सैलजा को अपना इस्तीफा भेजा है। उनकी जगह गिरीश देवांगन या बैज के करीबी मलकीत सिंह गेंदू को प्रभारी महामंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा रजनू नेताम को भी महामंत्री के पद से मुक्त कर नारायणपुर का जिलाध्यक्ष बनाने की चर्चा है। वे दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं।
प्रदेश में पांच नए जिले सारंगगढ़ बिलाईगढ़, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, सक्ती, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति भी की जाएगी। इन सभी के नाम फाइनल हो चुके हैं। जगदलपुर के जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उनका पद खाली है। इस पर प्रबल दावेदारी सुशील मौर्य की है।
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए मोहन मरकाम ने 120 सचिव और 36 संयुक्त महासचिव की सूची तैयार की थी। इस पर प्रभारी कुमारी सैलजा से एक बार चर्चा हो चुकी थी। नए प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के आने के बाद इस सूची को छोटा किया गया है। बताया जा रहा है कि अब सचिव 90 ही होंगे। जो एक-एक विधानसभा की जिम्मेदारी देखेंगे। वहीं संयुक्त महासचिव 25 बनाए गए हैं, इनको भी जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी। इस सूची में कुछ नाम और जुड़ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो सूची में सोशल इंजीनियरिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया है। आदिवासी और अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं को मौका दिया गया है।
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