रायपुर (छत्तीसगढ़) । पुरन्दर मिश्रा के बारे में कहा जाता है,इन्हें छत्तीसगढ़ से लगे उड़ीसा के किसी भी सीट से उम्मीदवार बना दिया जाए तो ये चुनाव जीत जाएंगे।दरअसल पुरन्दर मिश्रा (Purandar Mishra) अपने भाषायीक,सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक जुड़ाव की वजह से उड़ीसा राज्य के लिए हमेशा प्रासंगिक बने रहे और आज जब भाजपा विधायक के रूप में उड़ीसा के चुनावी समर में हुंकार भर रहे हैं तो उड़ीसा (Orissa) के लोगों को लग रहा है उनके समाज के व्यक्ति को छत्तीसगढ़ में महत्व मिल रहा है तो उड़ीसा के लोगों के मन में भी यह बात घर कर गई है कि उनको भी भाजपा के साथ इस चुनाव में जाना चाहिए।
गौरतलब हो कि पुरन्दर मिश्रा लगातार मुख्यमंत्री साय के साथ उड़ीसा के चुनावी सभाओं (Election meetings of orissa) में नजर आ रहे हैं।रायपुर से अधिकांश उड़ीसा की दौरों में पुरन्दर मिश्रा मुख्यमंत्री साय के सारथी की भूमिका में नजर आते हैं और उनकी सभी सभाओं में भारी भीड़ जुट रही है।विधायक पुरन्दर मिश्रा अपनी सभाओं में ओड़िया अस्मिता’ को सबसे बड़ा मुद्दा बना कर बीजेडी को घेर रहे हैं।
उड़ीसा के लोग उनकी बातों को विश्वास की नजर से देख रहे हैं और इसका लाभ भाजपा को मिलते नजर आ रहा है।पुरन्दर मिश्रा ठेठ उड़िया भाषा में सभाओं को संबोधित कर बता रहे हैं कि पटनायक सरकार ने उड़िया भाषियों के साथ किस तरह से छलावा किया है और अपने चुनावी सभाओं में ओड़िया अस्मिता’ को सबसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए बीजेडी को घेर रहे हैं।
बता दें कि इस समय नवीन पटनायक देश में सबसे लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले नेताओं की सूची में दूसरे नंबर पर हैं। अगर इस बार भी उनकी पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) चुनाव जीत जाती है, तो अगस्त के महीने के अंत तक वे इस सूची में सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को पछाड़ कर पहले स्थान पर आ जाएंगे।
सच तो यह भी है कि बीजद के साथ गठबंधन में लड़े गए 2004 के चुनाव में 7 लोकसभा और 32 विधानसभा सीटें हासिल करने वाली भाजपा 2009 के चुनाव में एक भी लोकसभा सीट जीत नहीं पाई जबकि विधानसभा में उसकी संख्या 32 से गिरकर छह पर आ गई।इसके साथ ही पार्टी का वोट शेयर केवल 15.05 फीसदी रह गया। लेकिन उसके बाद से पार्टी का वोट प्रतिशत हर चुनाव में बढ़ता रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में यह प्रतिशत 32.49 तक जा पहुंचा, हालांकि सीटें उसे केवल 23 ही मिलीं। बीजद का वोट प्रतिशत 44.71 फीसदी रहा और सीटों की संख्या 112 रही।
बावजूद लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन और भी बेहतर रहा। पार्टी ने राज्य के 21 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की। 2014 के आंकड़े से 13.4 फीसदी की लंबी छलांग लगाते हुए पार्टी का वोट प्रतिशत 38.4 फीसदी पर जा पहुंचा, जो बीजद के वोट प्रतिशत से केवल 4.4 फीसदी पीछे था। पहली बार पार्टी कांग्रेस को पछाड़ कर मुख्य विरोधी दल के रूप में उभरी।
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