वाह ! रे सिस्टम : गजब 19 साल बाद रिकार्ड-ए-पुलिसिया चालान !
By : hashtagu, Last Updated : May 20, 2025 | 3:08 pm

रायपुर। जरा सोचिए जब जांच रिपोर्ट में दो दशक लग जाएंगे तो न्याय की आस तो जनता में टूट ही नहीं डूब जाती है। हाईप्रोफाइल जांच में सिस्टम क्यों संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने में घबराता है। जी, यहां छत्तीसगढ़ में एक पुलिसिया चलान(police challan) ने तो लगता है विश्व रिकार्ड ही बना डाला है। बहरहाल, देरी के लिए क्या बिंदु थे, उसका तो फिलहाल खुलासा पुलिस द्वारा तकनीकी बिंदु बता रहे हैं, क्या उसे सुलझाने में दो दशक के लगभग लग गए। इस देरी के लिए जिम्मेदारों को भी कानून के दायरे में लाना चाहिए। लेकिन जो आरोपी जिसने फर्जी एडमिशन(Fake admission) दिलाया था। ऐसे में क्या उन छात्रों को न्याय मिल पाया। जी नहीं, बल्कि खाक में मिल गई न्याय व्यवस्था। माना कि आरोपी को तो सजा मिल जाएगी। और सवाल उठा रहे हैं, क्या उन छात्रों को न्याय मिल पाएगा, जिनका 19 साल पहले हक छिन लिया गया था।
मामला ये है कि स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले के खिलाफ 19 साल बाद फर्जी तरीके से एडमिशन दिलाने के प्रकरण में कोर्ट चालान पेश किया गया है. 14 मई को करीब 100 पन्नों का चालान पेश किया गया. इसमें बताया गया है कि किस तरह से पद का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेजों की हेराफेरी कर 2006 में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया।
चालान में आरोप लगाया गया था कि डॉ. आदिले ने अपनी पुत्री और उनकी सहेलियों को फर्जी तरीके से एडमिशन कराया. शिकायत के बाद रायपुर की गोलबाजार पुलिस ने 4 साल तक जांच करने के बाद 2010 में प्राथमिकी दर्ज की. साथ ही पूरे प्रकरण की 10 साल तक जांच करने के बाद 2020 में चालान तैयार किया. लेकिन इतने साल तक जांच करने के बाद भी तकनीकी त्रुटि के चलते इसे पेश नहीं किया गया।
बता दें कि इस मामले का खुलासा डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के पूर्व सदस्य डॉ. अनिल खाखरिया ने सूचना अधिकार कानून के तहत मिलने के बाद किया था. उन्होंने सूचना कानून के तहत प्रवेश के आधार के संबंध में जानकारी मांगी थी।
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य शिक्षा संचालक द्वारा अखिल भारतीय कोटे में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी पुत्री और अन्य को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाया था. जिसका खुलासा होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई थी.
सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले में लीपापोती करने के लिए सिंडीकेट सक्रिय हो गया था. इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. बता दें कि डॉ. आदिले के खिलाफ विभाग की एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप भी लगाया था. हालांकि, इस प्रकरण में किसी भी तरह का साक्ष्य नहीं मिलने पर 13 मई को बरी कर दिया गया है।
25 लोगों को बनाया है गवाह
पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में करीब 25 लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया है. कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद जल्दी ही इसकी सुनवाई शुरू होगी. इसमें आरोपी बनाए गए स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले सहित अन्य को समन जारी कर सुनवाई की जाएगी. साथ ही अभियोजन और बचाव पक्ष का तर्क और पेश किए गए साक्ष्य का परीक्षण किया जाएगा।
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