क्या स्लिप डिस्क से परेशान हैं? ये उपाय दिला सकते हैं राहत

योगाभ्यास जैसे तितली आसन, भुजंगासन, ताड़ासन और पवनमुक्तासन स्लिप डिस्क में राहत दे सकते हैं।

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  • Publish Date - September 23, 2025 / 10:20 PM IST

नई दिल्ली: रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाती है। यह 33 कशेरुकाओं (vertebrae) से बनी होती है, जो डिस्क जैसी नरम संरचनाओं से जुड़ी होती हैं। ये डिस्क रीढ़ को लचीला बनाए रखने के साथ स्पाइनल कॉर्ड को झटकों से बचाती हैं। जब इन डिस्क का बाहरी हिस्सा कमजोर हो जाता है और अंदर का द्रव बाहर निकलकर नसों पर दबाव डालता है, तब उसे स्लिप डिस्क कहा जाता है।

यदि गर्दन में यह समस्या हो तो इसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और कमर में हो तो लंबर स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है।

स्लिप डिस्क के सामान्य लक्षणों में गर्दन या कमर में लगातार दर्द, हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन, चलने या बैठने पर तेज़ दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और प्रभावित अंग में भारीपन शामिल हैं।

कारणों की बात करें तो गलत मुद्रा में बैठना, झटकों से उठना-बैठना, अधिक वजन उठाना, देर तक झुककर काम करना, तले-भुने भोजन का अधिक सेवन, और देर रात तक जागना इसके प्रमुख कारण हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह वात दोष बढ़ने से होता है।

सावधानियां और बचाव के लिए नियमित योगाभ्यास, सही खानपान, रात्रि जागरण से बचाव और शरीर की सही मुद्रा में बैठना जरूरी है। वजन उठाने के दौरान सही तकनीक अपनाएं और सोते समय करवट लेकर दोनों घुटनों के बीच तकिया रखें।

इलाज की बात करें तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में कई विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे:

  • बस्ति (एनिमा): पेट की सफाई कर वात दोष को संतुलित करना।

  • कटिबस्ति: कमर के हिस्से पर औषधीय तेल की रुकावट से नसों पर दबाव कम करना।

  • पंचकर्म चिकित्सा: शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर लचीलापन बढ़ाना।

  • पोटली और भाप स्नान: सूजन और जकड़न को कम करने के लिए।

  • एक्यूप्रेशर और चुंबक चिकित्सा: दर्द और दबाव को कम करने में सहायक।

योगाभ्यास जैसे तितली आसन, भुजंगासन, ताड़ासन और पवनमुक्तासन स्लिप डिस्क में राहत दे सकते हैं।

आयुर्वेदिक औषधियां जैसे योगराज गुग्गुल, त्रिफला गुग्गुल, दशमूल काढ़ा, अश्वगंधारिष्ट और वातारी गुग्गुल प्रशिक्षित चिकित्सक की देखरेख में उपयोगी साबित हो सकती हैं।

स्लिप डिस्क का इलाज व्यक्ति की स्थिति और रोग की गंभीरता के अनुसार तय किया जाना चाहिए। किसी भी उपचार की शुरुआत से पहले योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।