‘मकोई’ नाम तो सुना होगा! दिखने में छोटा सा फल है बड़ा ताकतवर

मकोई (मकोय) को ब्लैक नाइटशेड के नाम से पहचाना जाता है। यह एक छोटा सा पौधा है जो फसलों के बीच खरपतवार की तरह उग आता है।

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  • Updated On - March 6, 2025 / 01:09 PM IST

नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। मकोई (मकोय) को ब्लैक नाइटशेड (Black nightshade)के नाम से पहचाना जाता है। यह एक छोटा सा पौधा है जो फसलों के बीच खरपतवार की तरह उग आता है। सड़क के किनारे झाड़ियों में भी मुस्कुराता सा दिख जाता है। मकोई के छोटे से पौधे में अच्छी सेहत का राज छिपा होता है, जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। क्या आप जानते हैं कि उसी मकोई का आयुर्वेद में अद्भुत स्थान है? इसके अद्वितीय गुण बुखार से लेकर त्वचा(From fever to skin) से जुड़ी समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं।

मकोई का उपयोग आयुर्वेद में एक असरदार औषधि के रूप में होता है। इसके फल, पत्ते और जड़ें सभी किसी न किसी रोग का इलाज करने के काम आती हैं। मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की अनेक समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इसे त्रिदोष को संतुलित करने वाला और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने वाला माना जाता है। यह बुखार, जोड़ों के दर्द, सांस संबंधी समस्याओं, पीलिया, मुंह के छालों और अन्य विकारों के इलाज में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है, जो हमें सामान्य बीमारियों से बचाता है।

मकोई के विशेष गुणों का वर्णन भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे कि ‘सुश्रुत संहिता’ और ‘चरक संहिता’ में भी मिलता है। इसे ऐसा रसायन बताया गया है, जो शरीर के विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने और एजिंग प्रोसेस को भी धीमा करता है। सुश्रुत संहिता में मकोई की जड़ों को शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना गया है और इसे त्रिदोष के संतुलन के लिए उपयोगी बताया गया है।

विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को हानिकारक तत्वों से बचाते हैं। इसके अलावा, इसमें ऐसे गुण होते हैं जो सूजन को कम करने और शरीर के प्राकृतिक उपचार प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

बुखार और छाले जैसी समस्याओं में मकोई का सेवन तुरंत राहत प्रदान करता है। आज भी ग्रामीण अंचलों में इसका प्रयोग बुखार कम करने के लिए किया जाता है। दादी मां के नुस्खों की पोटली में खास जगह है इसकी! बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि बुखार के दौरान अगर मकोई का सेवन किया जाए, तो मात्र एक घंटे में वो छूमंतर हो जाता है।

वहीं, मकोई के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और पेट से जुड़ी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

मकोई का प्रभाव सिर्फ शरीर के अंदर ही नहीं, बल्कि बाहर भी दिखता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल गुण स्किन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करते हैं। दाग-धब्बे या सनबर्न से जूझ रहे हैं, तो मकोई का फेस पैक आपके लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार, मकोई की पत्तियों का काढ़ा पीलिया के रोगियों के लिए रामबाण साबित होता है। इसे पीने से पीलिया में जल्दी राहत मिलती है और शरीर में जमा हुए विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।

इस पौधे के आयुर्वेदिक गुणों को लेकर अभी भी शोध जारी हैं। वैज्ञानिक इसे लेकर अधिक गहराई से अध्ययन कर रहे हैं, ताकि मकोई के उपयोग के सभी फायदे पूरी तरह से सामने आ सकें।

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