मध्य प्रदेश में उम्मीदवारी से लेकर चुनाव प्रचार तक में पिछड़ रही कांग्रेस

By : hashtagu, Last Updated : April 5, 2024 | 4:32 pm

भोपाल, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस (Congress) लगभग हर मामले में पिछड़ती नजर आ रही है। एक तरफ जहां वह उम्मीदवार तय करने में पिछड़ी है तो वहीं पार्टी का प्रचार अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। इतना ही नहीं नेताओं में आपसी खींचतान की खबरें भी जोर पकड़ रही हैं।

राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं और कांग्रेस को 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारने हैं। एक सीट सियासी समझौते में समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। कांग्रेस अपने हिस्से की 28 सीटों में से 25 सीटों पर ही अब तक उम्मीदवार तय कर सकी है। जबकि, भाजपा काफी पहले सभी सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है।

कांग्रेस में ग्वालियर, मुरैना और खंडवा संसदीय सीट को लेकर खींचतान जारी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर और मुरैना के उम्मीदवार को लेकर तो प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बीच तनातनी है। यह बात चुनाव प्रचार के दौरान भी नजर आ रही है।

जीतू पटवारी प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के साथ प्रचार में लगे हैं। मगर, उनके साथ नेता प्रतिपक्ष नजर नहीं आ रहे। इसे उम्मीदवारी तय करने के मामले में मतभेद बढ़ने से जोड़ा जा रहा है। एक तरफ जहां कांग्रेस अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है तो वहीं प्रचार के मामले में भी पिछड़ती नजर आ रही है।

यह बात अलग है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री कई स्थानों पर जाकर उम्मीदवारों के नामांकन पत्र भरवा रहे हैं और जनसभाएं कर रहे हैं। मगर, राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से अब तक कोई भी नेता राज्य के दौरे पर नहीं आया है। भाजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे भी प्रस्तावित हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नजर न आने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी तंज कसा है। उनका कहना है कि अब पता नहीं जीतू भाई कैसा जादू करते हैं कि लोग गायब हो जाते हैं। छिंदवाड़ा वाले भी गायब होते-होते रह गए, कांग्रेस में कौन बचेगा, इसका कोई ठिकाना मुझे नहीं लगता। अब तो ढूंढें, कहां हैं उमंग सिंघार।