प्रधानमंत्री मोदी ने महिला महासम्मेलन में देवी अहिल्याबाई को किया नमन, कहा – मातृशक्ति को प्रणाम, बोलने को शब्द कम पड़ते हैं

By : dineshakula, Last Updated : May 31, 2025 | 12:48 pm

भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर आयोजित लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण (women empowerment) महासम्मेलन को संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत पीएम मोदी ने मातृशक्ति को प्रणाम कर की और कहा, “देवी अहिल्याबाई होल्कर – यह नाम सुनते ही श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है, उनके बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।”

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इंदौर मेट्रो और सतना-दतिया एयरपोर्ट का लोकार्पण किया और कहा कि ये प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में विकास, सुविधाओं और रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा देंगे। उन्होंने प्रदेशवासियों को इस पावन दिन की शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई को भारत की विरासत की रक्षक बताया और कहा कि जब देश के मंदिरों और संस्कृति पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता अहिल्या ने न केवल उन्हें संरक्षित किया बल्कि कई मंदिरों व तीर्थों का पुनर्निर्माण भी कराया।

पीएम मोदी ने बताया कि देवी अहिल्या ने कपास और मसालों की खेती को बढ़ावा दिया, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि आज हमें किसानों को बार-बार क्रॉप डायवर्सिफिकेशन के लिए प्रेरित करना पड़ता है, जबकि देवी अहिल्या ने यह काम सदियों पहले ही शुरू कर दिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्या ने आदिवासी और घुमंतू समुदायों के लिए खेती की योजना बनाई और जल संरक्षण के लिए उस दौर में ही तालाब और नहरें बनवाईं। उन्होंने गवर्नेंस का ऐसा मॉडल अपनाया जिसमें गरीबों और वंचितों को प्राथमिकता दी गई।

मोदी ने यह भी कहा कि अहिल्या बाई ने नारी सुरक्षा टोलियों का गठन किया था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। “आज अगर बेटियों की शादी की उम्र को लेकर बात करें, तो कुछ लोग सेकुलरिज्म की दुहाई देने लगते हैं। लेकिन 250 साल पहले देवी अहिल्या ने इन मुद्दों पर काम शुरू कर दिया था,” प्रधानमंत्री ने कहा।

कार्यक्रम स्थल पर पीएम मोदी खुली जीप में पहुंचे और वहां उपस्थित महिलाओं का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और महिला बुनकरों व ‘ड्रोन दीदी’ से संवाद भी किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा सौभाग्य है कि आज देश के राष्ट्रपति पद पर जो विराजमान हैं, उनके मार्गदर्शन में मुझे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा का अवसर मिला है।”

इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्या के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और महिला सशक्तिकरण को मजबूत करने का संदेश दिया।