उज्जैन 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Mohan Yadav) ने उज्जैन में हरिद्वार की तर्ज पर साधु संतों, महंतों, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर आदि को स्थाई आश्रम बनाने की अनुमति देने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोमवार को उज्जैन के मेला कार्यालय में सिंहस्थ की तैयारियों की चर्चा करते हुए संवाददाताओं से कहा, उज्जैन की पहचान साधु संतों से है। 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाला सिंहस्थ का आयोजन 2028 में किया जाएगा। साधु संतों को उज्जैन में आने, ठहरने, कथा, भागवत आदि आयोजन के लिए पर्याप्त भूमि की आवश्यकता पड़़ती है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा साधु -संतों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई है। निजी होटलों में साधु संतों और श्रद्धालुओं को इस प्रकार के आयोजनों के लिए चुनौतियां आती हैं और महंगा भी पड़ता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार विकास के क्रम को जारी रखते हुए उज्जैन में भी साधु संतों के स्थायी आश्रम बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से इस बड़ी योजना को आकार दिया जाएगा। सभी साधु-संतो, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर सभी को आमंत्रित कर उनके स्थायी आश्रम बनाने की दिशा में काम करेंगे। सिंहस्थ के दृष्टिगत सड़क, बिजली, पेयजल, जल निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थाई अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि साधु -संतों को आश्रम निर्माण के लिए अगर पांच पांच बीघे जमीन दी जाएगी, तो एक बीघे के भूखंड पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा, शेष चार बीघा भूखंड खुला रहेगा। इसमें पार्किंग आदि की व्यवस्था होगी। यह अनुमति केवल साधु-संतों, महंतों,अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर को ही दी जाएगी। व्यक्तिगत और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी।
उन्होंने कहा, हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार की गई है। सभी प्रकार के फोरलेन, सिक्स लेन ब्रिज आदि स्थायी अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे। सभी मूलभूत सुविधाओं व साधु-संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से किए जाएंगे। समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन कार्य को भी प्राथमिकता दी जाएगी।