Raghav Chadha: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने ब्लिंकिट डिलीवरी पार्टनर से लंच पर मुलाकात कर देश में गिग वर्कर्स के काम और मेहनत की वास्तविक स्थितियों पर प्रकाश डाला। यह चर्चा एक वायरल वीडियो के बाद सामने आई जिसमें एक Blinkit डिलीवरी राइडर ने बताया कि उसने लगभग 15 घंटे में 28 डिलीवरी पूरी की लेकिन उसकी कुल कमाई 763 रुपये ही हुई थी, जिससे गिग इकॉनमी में काम करने वालों की स्थिति पर सवाल उठे।
लंच के दौरान राइडर, जिसका नाम हिमांशु बताया गया है, ने कहा कि 10‑मिनट की डिलीवरी टाइमिंग का दबाव और लॉन्ग वर्किंग ऑवर गिग वर्कर्स के लिए चुनौती बन गए हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्हें किसी ग्राहक के घर पर डिलीवरी करनी होती है और अगर लिफ्ट उनके लिए उपलब्ध नहीं होती, तो उन्हें 10 से 14 मंजिल तक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, क्योंकि कुछ सोसाइटी लिफ्टों में डिलीवरी राइडर्स को प्रवेश नहीं दिया जाता। इससे शारीरिक दबाव और समय की कमी दोनों का सामना करना पड़ता है।
I invited Himanshu, a Blinkit delivery boy, over for lunch.
Through his social media post, he had recently shared the harsh realities and miseries faced by riders/delivery boys.
We spoke at length about the high risks, long hours, low pay, and no safety net.These voices deserve… pic.twitter.com/pTiDOLtr3m
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) December 27, 2025
हिमांशु ने यह भी कहा कि कुछ ग्राहकों के साथ संपर्क में समय खर्च होना और इंसेंटिव सिस्टम के कारण उनकी कमाई और घट रही है। उन्होंने बताया कि पहले करीब के ऑर्डर पर उन्हें उच्च भुगतान मिलता था, लेकिन अब यह कम हो चुका है, जिससे कमाई और मुश्किल हो गई है। इससे गिग वर्कर्स को पर्याप्त सम्मान या सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती, जिससे वे अपने स्वास्थ्य और जोखिम के प्रति असुरक्षित महसूस करते हैं।
राघव चड्ढा ने कहा कि उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में पहले भी गिग वर्कर्स की कम मजदूरी, लंबे कार्य घंटे और सामाजिक सुरक्षा की कमी जैसे मुद्दों को उठाया है और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह मुलाकात आयोजित कर दिखाया कि गिग इकॉनमी की वास्तविक चुनौतियाँ केवल संसद में नहीं, बल्कि सीधे प्रभावित लोगों से सुनकर समझी जानी चाहिए।