इसरो ने लॉन्च किया ‘बाहुबली’ सैटेलाइट CMS-03, अंतरिक्ष से दुश्मनों पर रखेगा पैनी नजर

इसकी मदद से इसरो अब 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी उपग्रहों को जीटीओ में लॉन्च करने में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है.

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  • Publish Date - November 2, 2025 / 11:53 PM IST

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (ISRO) ने शनिवार को देश का सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 (GSAT-7R) सफलतापूर्वक लॉन्च किया. करीब 4,410 किलोग्राम वजनी यह सैटेलाइट भारत की धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में प्रक्षेपित किया गया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है. इसरो ने इसे अपने शक्तिशाली एलवीएम3-एम5 रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा, जिसे उसकी क्षमता के कारण ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है.

यह सैटेलाइट भारत की सैन्य संचार और निगरानी क्षमता को और मजबूत करेगा. हालांकि इसरो ने इसे सैन्य उपयोग से जोड़कर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि CMS-03 से दुश्मनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सकेगी. यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200), एक द्रव प्रणोदक कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक चरण (C25) शामिल हैं. इसकी मदद से इसरो अब 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी उपग्रहों को जीटीओ में लॉन्च करने में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है.

भारत ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी छलांग लगाई है. चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग और आदित्य-एल1 मिशन जैसे अभियानों से इसरो ने वैश्विक स्तर पर अपनी वैज्ञानिक क्षमता साबित की है. प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत तेजी से एक उभरती अंतरिक्ष महाशक्ति बनता जा रहा है.

इससे पहले इसरो ने नासा के साथ मिलकर निसार (NISAR) सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था, जो जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी के पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी के लिए बेहद अहम मिशन है. वहीं आदित्य-एल1 भारत का पहला सौर मिशन है जो सूर्य की गतिविधियों का अध्ययन कर रहा है. इसके अलावा SPADEx मिशन के तहत इसरो ने दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में डॉक कराकर इन-स्पेस डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की, जिससे भारत दुनिया का चौथा देश बन गया जिसने यह सफलता पाई. 2017 में इसरो ने एक ही मिशन में 104 उपग्रहों को लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था.

CMS-03 की सफल लॉन्चिंग भारत की अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भरता और सामरिक शक्ति का एक और प्रमाण बन गई है.