नई दिल्ली/रायपुर : संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा “मुझे बोलने नहीं दिया जाता” कहे जाने पर सियासी घमासान छिड़ गया है। भाजपा सांसदों ने उनके बयान का विरोध करते हुए इसे “संसद और आसंदी का अपमान” बताया। रायपुर से भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आसंदी पर किसी भी प्रकार का आरोप लगाना सीधे तौर पर सदन की अवमानना है।
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को समझना चाहिए कि जब कोई मंत्री जानकारी देने के लिए खड़ा होता है, तो उसे प्राथमिकता दी जाती है। उनकी इस तरह की टिप्पणी से संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है। यह लोकतंत्र की संस्थाओं का अपमान है।”
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार को हुई, लेकिन पहले ही दिन दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में विपक्ष के जोरदार हंगामे के चलते कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा।
इसी दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए नेता प्रतिपक्ष पर सदन की मर्यादा भंग करने का आरोप लगाया।
सत्र के दौरान सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के जंगलों, खनन गतिविधियों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई अहम मुद्दे संसद में उठाए। उन्होंने सरकार से पूछा:
क्या बीते 10 वर्षों में 18 करोड़ पौधे लगाने का दावा सही है? इनमें से कितने अब भी जीवित हैं?
क्या खनन के चलते बस्तर, कोरबा और दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में वन क्षेत्र घटा है?
क्या इन परियोजनाओं के लिए ग्राम सभाओं से अनुमति ली गई थी?
क्या विकास परियोजनाएं पर्यावरणीय स्वीकृति के अभाव में रुकी हुई हैं?
क्या वृक्षारोपण की निगरानी सैटेलाइट मैपिंग और जियो टैगिंग से की जा रही है?
इन सवालों का जवाब देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि वर्ष 2010-11 से 2019-20 के बीच राज्य में करीब 18 करोड़ पौधे लगाए गए। इनमें से लगभग 90% की उत्तरजीविता दर है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2013 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में घने जंगलों का क्षेत्र बढ़ा है, और कोई विशेष गिरावट दर्ज नहीं की गई है।
मंत्री ने बताया कि खनन परियोजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और वन अधिकार अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के अनुसार होती है। ग्राम सभाओं से सहमति लेना भी अनिवार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पर्यावरणीय मंजूरी अधिकतम 105 दिनों के भीतर पूरी की जाती है।
मंत्री के उत्तर पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, “पर्यावरण संतुलन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। वृक्षारोपण सिर्फ आंकड़ों तक सीमित न रहे, यह जमीन पर भी दिखना चाहिए। आदिवासी क्षेत्रों में खनन से जंगल और जनजीवन प्रभावित न हो, यह सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने कहा कि वे आगे भी छत्तीसगढ़ के पर्यावरण और जनहित से जुड़े मुद्दे संसद में लगातार उठाते रहेंगे।