नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)। मोदी सरकार (Modi government) सरकारी कामकाज में पांच साल पहले एक नया तरीका लाई थी, जिसको लेटरल एंट्री (lateral entry) कहा जाता है। इस तरह की भर्ती 2019 में पहली बार की गई थी, और अब इसे बड़े पैमाने पर दोहराया जा रहा है। लेटरल एंट्री को सरकारी नौकरशाही में बाहरी विशेषज्ञों को लाने की योजना के तौर पर समझा जा सकता है।
मौजूदा समय की सबसे बड़ी लेटरल एंट्री के तहत सरकार का लक्ष्य संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती करना है। इनमें से 10 पद संयुक्त सचिव स्तर के हैं, बाकी उप सचिव और निदेशक स्तर के हैं। ये भर्तियां वित्त, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के लिए की जाएंगी।
लेटरल एंट्री अपने आप में एक दिलचस्प पहल रही है। इससे पहले केंद्रीय नौकरशाही में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही शामिल होते रहे हैं। मोदी सरकार ने शासन में अपेक्षाकृत नया दृष्टिकोण लाते हुए, पारंपरिक सिविल सेवाओं के बाहर से पेशेवरों को लाने के लिए लेटरल एंट्री शुरू थी। साल 2019 में ऐसे कई लोगों को पहली बार सरकारी नौकरी मिली थी।
लेटरल एंट्री के जरिए नए लोगों के नए विचार और अनुभव का लाभ लेने के लिए ऐसे विशेषज्ञों को भर्ती किया जा चुका है, जिनको अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, और कृषि जैसे क्षेत्रों का अच्छा ज्ञान था। पिछले पांच सालों में सरकार ने कुछ बैच में इन डोमेन स्पेशलिस्ट को भर्तियां दी हैं। इनमें से कुछ लोगों को संयुक्त सचिव के पद पर रहने के लिए एक्सटेंशन भी दिया गया है।
इन सब चुनौतियों के बावजूद, हालिया समय में यह लेटरल एंट्री के लिए सबसे बड़ा बैच है और यह नौकरशाही में सुधार लाने और बाहरी प्रतिभाओं का उपयोग करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।