नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। संसद के बजट सत्र (Budget session of parliament) के आखिरी दिन ऐतिहासिक राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि 22 जनवरी का दिन सहस्त्रों वर्षों के लिए ऐतिहासिक बन गया है, जो इतिहास और ऐतिहासिक पलों को नहीं पहचानते, वो अपने अस्तित्व और वजूद को खो देते हैं।
अमित शाह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमारे गुजरात में एक कहावत है हवन में हड्डी नहीं डालना चाहिए। अमित शाह ने कहा, ”जो लोग राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते। वो हमारे गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं, राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। राम का राज्य किसी एक धर्म और समुदाय के विशेष के लिए नहीं है, राम का राज्य आर्दश राज्य कैसा होना चाहिए, इसका प्रतीक न केवल भारत बल्कि समग्र देशों के लिए बना हुआ है।”
उन्होंने कहा, “कई देशों ने भी रामायण को स्वीकारा है और एक आदर्श ग्रंथ के रूप में प्रतिस्थापित किया है। विदेशों में नेपाल, इंडोनेशिया, कंबोडिया, तिब्बत इन सभी भाषाओं में रामायण का अनुवाद हुआ है और उससे प्रेरणा भी ली जाती है।”
अमित शाह ने कहा, ”मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं, जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली।”
बता दें कि लोकसभा में ऐतिहासिक राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सांसद सत्यपाल सिंह ने की। उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने भगवान राम को नकारा, इसलिए आज आज उनकी ये स्थिति है।
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