नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Opposition leader Mallikarjun Kharge) ने बुधवार को केंद्रीय बजट की आलोचना (Criticism of Union Budget) करते हुए मोदी सरकार पर विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने इसे सरकार बचाने के लिए बनाया गया बजट करार दिया और आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश और बिहार के हित में अन्य राज्यों की कीमत पर अनुचित पक्षपात किया गया है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा, “केवल दो राज्यों की थाली में ‘पकौड़ा’ और ‘जलेबी’ है, बाकी को कुछ नहीं मिला।” उन्होंने कहा, “यह बजट केवल अपने सहयोगियों को संतुष्ट करने के लिए है… बाकी राज्यों का बजट में नाम तक नहीं है। महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक, थालियां खाली हैं। मुझे उम्मीद थी कि कर्नाटक को अधिक मिलेगा, क्योंकि वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) राज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। लेकिन कर्नाटक से लेकर तमिलनाडु और महाराष्ट्र से लेकर हरियाणा तक, किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला।”
बजट पर गरमागरम बहस के बीच भी राज्यसभा में कुछ हल्के-फुल्के क्षण उस समय देखने को मिले जब सभापति जगदीप धनखड़ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ‘माताजी’ कहने पर खड़गे को सही करने की कोशिश की।
चर्चा के दौरान खड़गे ने कहा, “मैंने ऐसा बजट पहले कभी नहीं देखा। यह बजट तुष्टिकरण और अपनी कुर्सी बचाने के लिए था। हम इसकी निंदा करते हैं।”
इसके बाद धनखड़ ने खड़गे से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जवाब देने का मौका देने का आग्रह किया। खड़गे ने कहा, “मैं बोल लेता हूं। माताजी तो बोलने में एक्सपर्ट हैं, मुझे मालूम है।” धनखड़ ने टिप्पणी की, “माताजी नहीं, वह आपकी बेटी जैसी हैं।” इस पर सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के सांसदों की हंसी फूट पड़ी।
खड़गे ने सरकार की आलोचना जारी रखते हुए आरोप लगाया कि जिन राज्यों में मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन नहीं किया, उन्हें नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का जिक्र करते हुए कहा, “जो आज आपके साथ हैं, वे कल दूसरों के साथ होंगे। सरकार ने उन राज्यों को कुछ नहीं दिया, जहां लोगों ने भाजपा को नकार दिया।”
मंगलवार को मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए पर्याप्त वित्तीय पैकेज की घोषणा की। आंध्र प्रदेश के विकास के लिए चालू वित्त वर्ष में 15 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया और आने वाले वर्षों में अतिरिक्त धन देने का वादा किया गया। इसी तरह, बिहार को भी 58 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बुनियादी ढांचे की सौगात दी गई।
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