रूस का ‘बुरेवस्तनिक’ टेस्ट: परमाणु इंजन से चलने वाली दुनिया की पहली मिसाइल

अमेरिकी वायुसेना की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मिसाइल के सर्विस में आने के बाद रूस के पास 10,000 से 20,000 किमी तक हमला करने की क्षमता होगी।

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  • Publish Date - October 27, 2025 / 12:01 PM IST

मॉस्को, रूस (Moscow, Russia):  रूस ने रविवार को घोषणा की कि उसने दुनिया की पहली न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल (missile) ‘बुरेवस्तनिक’ (Burevestnik 9M730) का सफल परीक्षण पूरा कर लिया है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि मिसाइल के सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं और इसे अब सेना में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

रूसी सेना प्रमुख वैलेरी गेरेसिमोव ने पुतिन को जानकारी दी कि यह परीक्षण 21 अक्टूबर को हुआ था, जिसमें मिसाइल ने करीब 15 घंटे तक उड़ान भरते हुए 14,000 किलोमीटर की दूरी तय की। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल की अधिकतम रेंज नहीं है — यह इससे भी लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम है।

1300 किमी/घंटा की रफ्तार, डिफेंस सिस्टम भी बेअसर

रिपोर्ट्स के अनुसार, बुरेवस्तनिक की स्पीड लगभग 1300 किमी/घंटा है।
पुतिन ने दावा किया कि ऐसी मिसाइल दुनिया के किसी देश के पास नहीं है और यह किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से पकड़ी नहीं जा सकती।

यह मिसाइल सामान्य ईंधन की बजाय न्यूक्लियर रिएक्टर से संचालित होती है, जिसके कारण इसकी रेंज लगभग असीमित है।
यह 50–100 मीटर की नीची ऊंचाई पर उड़ते हुए लगातार दिशा बदलती रहती है, जिससे इसे ट्रैक करना या रोकना लगभग असंभव हो जाता है।

अमेरिका तक पहुंचने की क्षमता

अमेरिकी वायुसेना की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मिसाइल के सर्विस में आने के बाद रूस के पास 10,000 से 20,000 किमी तक हमला करने की क्षमता होगी।
इससे रूस किसी भी हिस्से से अमेरिका तक निशाना साध सकता है।

अब तक इतनी दूरी तक पहुंचने के लिए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का उपयोग होता रहा है, जो अंतरिक्ष में उड़ान भरती हैं और ट्रैक की जा सकती हैं।
लेकिन बुरेवस्तनिक एक क्रूज मिसाइल होते हुए भी इतनी दूरी तय करने में सक्षम है — यही इसे बाकी हथियारों से अलग बनाता है।

तकनीकी चुनौतियां और पुराने हादसे

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक संस्थान IISS (International Institute for Strategic Studies) का कहना है कि रूस को इस मिसाइल के सुरक्षित संचालन में अब भी कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 से अब तक दर्जनों परीक्षणों में केवल आंशिक सफलता मिली है।
2019 में नेनोक्षा (Nyonoksa) क्षेत्र में एक परीक्षण के दौरान विस्फोट में सात वैज्ञानिकों की मौत हुई थी और पास के सेवरोदविंस्क शहर में रेडिएशन स्तर बढ़ गया था।
बाद में रूस ने स्वीकार किया कि यह हादसा इसी न्यूक्लियर-संचालित मिसाइल के परीक्षण के दौरान हुआ था।

‘अजेय’ हथियार का दावा

पुतिन पहले भी ‘बुरेवस्तनिक’ को “अजेय हथियार” बता चुके हैं।
उनका कहना है कि यह मिसाइल किसी भी आधुनिक एंटी-मिसाइल सिस्टम को मात दे सकती है।
यह उड़ान के दौरान अपनी दिशा कई बार बदल सकती है, जिससे दुश्मन के लिए इसे निशाना बनाना लगभग असंभव हो जाता है।