वॉशिंगटन/नई दिल्ली – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने लेटेस्ट सोशल मीडिया पोस्ट से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट “ट्रुथ सोशल” पर लिखा: “Looks like we’ve lost India and Russia to deepest, darkest China. May they have a long and prosperous future together!”
यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब चीन के तिआनजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। यह पहली बार था जब मोदी सात साल बाद चीन की ज़मीन पर दिखे—और सीधे शी और पुतिन के साथ मंच साझा किया।
ट्रंप के इस बयान को सिर्फ एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारत-रूस-चीन समीकरणों पर अमेरिका की रणनीतिक चिंता के तौर पर देखा जा रहा है।
SCO समिट के दौरान ऊर्जा, सुरक्षा और व्यापार जैसे मुद्दों पर तीनों नेताओं ने खुले तौर पर सहयोग की बात की। और यह भी तब, जब तीनों देशों के वॉशिंगटन के साथ संबंध अलग-अलग स्तरों पर तनावपूर्ण बने हुए हैं—चाहे वो यूक्रेन युद्ध हो या वैश्विक ट्रेड नीति।
ट्रंप की टिप्पणी, इस बात का संकेत है कि अमेरिका को अब लग रहा है कि भारत, जिस पर वह चीन के खिलाफ एक संतुलन के तौर पर भरोसा करता रहा है, अब ‘रणनीतिक स्वतंत्रता’ को प्राथमिकता दे रहा है।
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ गहरी दोस्ती दिखाने की कोशिश की थी। 2019 में उन्होंने ‘Howdy Modi’ इवेंट में मोदी के साथ मंच साझा किया, और QUAD जैसे गठबंधन को फिर से जीवित किया। लेकिन दूसरे कार्यकाल में लौटने के बाद ट्रंप ने भारत पर कुल 50% टैरिफ (25% सामान्य + 25% रूस से तेल आयात पर) लगा दिए हैं।
ट्रंप ने कहा: “We do very little business with India, but they do a tremendous amount of business with us… totally one-sided disaster.”
भारत की रूस से तेल और रक्षा सामान की खरीद ट्रंप को सबसे ज़्यादा खटक रही है। उनका दावा है कि भारत रूसी कच्चे तेल की भारी खरीदारी के ज़रिए यूक्रेन युद्ध की अप्रत्यक्ष फंडिंग कर रहा है।
इस पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पलटवार किया है: “क्या अमेरिका चीन और यूरोप को भी यही स्टैंडर्ड लागू करता है? वहां भी तो रूस से भारी मात्रा में एनर्जी आ रही है।”