विकसित भारत एंबेसडर: श्री श्री रविशंकर ने बताया कैसे भारत में हो रहा महिलाओं का सशक्तीकरण

आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर दो दिन के वाराणसी दौरे पर हैं। शनिवार को वो काशी विश्वनाथ धाम के

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  • Updated On - May 4, 2024 / 02:47 PM IST

वाराणसी, 4 मई (आईएएनएस)। आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर(Sri Sri Ravi Shankar, Founder of Art of Living)  दो दिन के वाराणसी दौरे पर हैं। शनिवार को वो काशी विश्वनाथ धाम के त्र्यंबकेश्वर हाल में आयोजित ‘विकसित भारत एंबेसडर’ (Vikas Bharat Ambassador) कार्यक्रम में शामिल हुए।

नारी शक्ति संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री श्री ने कहा कि विकसित भारत की योजना साल 2047 तक पूरी करनी है। लेकिन जब महिलाएं कोई भी काम अपने हाथ में ले लेती हैं, तो वह उसे 10 साल पहले ही पूरा कर देती हैं। हमने देखना है कि महिलाओं के ऊपर इतनी बड़ी जिम्मेदारी होती है। आप घर का काम झट से पूरा कर बाहर का काम भी संभालती हैं। जब महिलाएं एक साथ दो काम को संभालती है, तो मैं समझता हूं कि आपकी क्षमता बहुत अधिक है। इसलिए हमारे पुरातन ऋषियों ने भी महत्वपूर्ण मिनिस्ट्री महिलाओं को दे दिया।

उन्होंने कहा, सबसे महत्वपूर्ण मिनिस्ट्री एजुकेशन सरस्वती के पास है, फाइनेंस मिनिस्ट्री जिससे सब कुछ चलता है लक्ष्मी जी के पास और डिफेंस मिनिस्ट्री दुर्गा जी के पास है। बाकी कुछ बचा नहीं है। सारे अहम मिनिस्ट्री महिलाओं के हाथ में है।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में आज तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बनी। जबकि यूएस में वीमेन एम्पावरमेंट की इतनी ज्यादा बात होती है। दुनिया में सब जगह जेंडर इक्वलिटी की बात होती है। लेकिन, यह सिर्फ हमने करके दिखाया है। इस देश में पहली बार संसद में महिला आरक्षण बिल को पास किया गया। हमारे देश में महिलाएं पहले से ही आगे रही हैं।

श्री श्री ने कहा कि एक महिला कई लोगों पर प्रभाव डाल सकती है, जैसे बच्चों पर, पति पर, भाई पर और पिता पर। पिता बेटे की बात भले ही नहीं मानें, मगर बेटियों की जरूर मानते हैं। अगर एक घर में महिला खुश रहती है तो पूरे घर का माहौल खुशनुमा रहता है। लेकिन एक महिला घर में बैठकर रोती रहती है, तो सब कुछ बिगड़ जाता है यहां तक कि पूरा घर उजड़ जाता है। आज हम लोग बाबा विश्वनाथ के दर पर बैठे हैं। यहां विशालाक्षी देवी का मंदिर है जिसकी दृष्टि बड़ी है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि होने से ये धाम इतना अच्छा बन पाया है। आप सब जानते हैं कि 70-75 साल पहले यहां की गलियां कैसी होती थी, फिर भी यह सब लोग पूजा करने आते थे। किसी ने काशी की कद्र नहीं की। सबकुछ भगवान भरोसे छोड़ देते थे, भगवान हमें भरोसा देते हैं तुम आगे बढ़ो। लेकिन हम सब लोग हर काम भगवान भरोसे छोड़कर बैठ जाते हैं, ऐसे में बात नहीं बनेगी। भगवान पर भरोसा करने के साथ-साथ काम भी करते रहना चाहिए। ये हमारा सिद्धांत है और इसी सिद्धांत पर ही विकसित भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ सकते हैं और उसका मूल स्तंभ ही स्त्री शक्ति ही होती है।

उन्होंने कहा कि अभी हम लोगों को बहुत कुछ करना है, पहला- स्वच्छ भारत अभियान में हिस्सा लेना है। देश स्वच्छ रहे, घर स्वच्छ रहे, गलियां साफ रहे, इस पर हमको बड़ा योगदान देना पड़ेगा। जितना हम प्लास्टिक का यूज करते हैं, पर्यावरण को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचता है। पर्यावरण का ध्यान रखना हमारा सबसे पहला काम है। दूसरा-कन्या प्रशिक्षण देश में कोई भी ऐसी महिला ना रहे, जिसे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रशिक्षण ना मिले। हमारे संस्कार बचाने में महिलाओं का बहुत बड़ा हाथ है। हमारे देश की विरासत का संरक्षण करना हमारा काम है। काशी नगरी संस्कृति की नगरी है। संगीत, संस्कृति और संस्कार ये तीनों हमें मां ही दे सकती है।

आखिर में उन्होंने कहा कि इस देश के दिशा-निर्देश में आप सबका योगदान आवश्यक है। नागरिक होने के नाते हम सबको वोट देना पड़ेगा। ये सोचकर मत बैठिए नरेंद्र मोदी सत्ता में आ जाएंगे, मोदी जरूर आएंगे। लेकिन हम अपने कर्तव्य से चूक जाते हैं, जो कि बिल्कुल नहीं होना चाहिए। एक रिवाज समझ कर भी आप सब लोगों को वोट करना चाहिए।