US Indo: भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू अंतरसत्रीय वार्ता, रणनीतिक और रक्षा मामलों पर हुई चर्चा

विदेश और रक्षा मंत्रालय तथा अमेरिकी विदेश और रक्षा विभाग के अधिकारी सोमवार को टू प्लस टू अंतरसत्रीय वार्ता में शामिल हुए।

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  • Publish Date - September 17, 2024 / 11:16 AM IST

नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। एक आधिकारिक बयान में यूएस-भारत (Indo – US) टू प्लस टू अंतरसत्रीय वार्ता की जानकारी दी गई। बताया गया कि बैठक के दौरान द्विपक्षीय रणनीतिक और रक्षा प्राथमिकताओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई।

विदेश और रक्षा मंत्रालय तथा अमेरिकी विदेश और रक्षा विभाग के अधिकारी सोमवार को टू प्लस टू अंतरसत्रीय वार्ता में शामिल हुए।

एक्स पोस्ट में, विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत और अमेरिका ने सोमवार को भारत के विदेश और रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी विदेश और रक्षा विभागों के अधिकारियों संग बैठक हुई। चर्चा के केंद्र में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ द्विपक्षीय रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों को शामिल किया गया।”

इससे पहले 13 सितंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (डीएफसी) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी निशा बिस्वाल ने किया।

प्रतिनिधिमंडल में भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच शामिल थे।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, चर्चा भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित थी, जिसमें भारत में निवेश के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया गया।

बातचीत के दौरान डीएफसी के प्रतिनिधियों ने निवेश के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में भारत की महत्वपूर्ण क्षमता को स्वीकार किया।

उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूल अवसरों पर प्रकाश डाला तथा देश में निवेश का और अधिक विस्तार करने की प्रतिबद्धता जताई।

वित्त मंत्री सीतारमण ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापक और बहु क्षेत्रीय सहयोग पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि हाल के सुधारों और देश के उभरते निवेश माहौल ने विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है।

उन्होंने विशेष रूप से सतत विकास और नवाचार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग बढ़ाने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला।