भूपेश ने आरक्षण बिल के सियासी जंग को दिया विराम!, बोले, भेज दिए 10 जवाब

By : madhukar dubey, Last Updated : December 25, 2022 | 3:03 pm

छत्तीसगढ़। (reservation bill) आरक्षण बिल पर राज्यपाल द्वारा मांगे गए 10 सवालों के जवाब को भूपेश सरकार ने भेज दिया है। ऐसे में आशा है अब आरक्षण बिल पर राजभवन और सरकार के बीच चल रही खींचतान खत्म हो जाए। बहरहाल, आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh) मीडिया को बताया कि प्रदेश सरकार के विभागों ने राजभवन की ओर से मांगी गई जानकारियां दे दी हैं।

अब इस मसले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जल्द से जल्द राज्यपाल अनुसुइया उइके को संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए। कहा- राजभवन से १० बिंदुओं पर पूछे गए सवालों का सरकार ने जवाब भेज दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा- संविधान में ऐसी व्यवस्था नहीं फिर भी जानकारी दे दी गई है, अब राज्यपाल को हस्ताक्षर करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

राज्यपाल से आदिवासी विधायकों का दल भी राज्यपाल से मिल चुका है

गुरुवार को कांग्रेस के आदिवासी विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था। मुलाकात के दौरान विधायकों ने आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने की मांग की। जवाब में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने १० सवालों की सूची उन्हें भी पकड़ाकर कहा था कि, इनका जवाब सरकार से मिल जाए तो हस्ताक्षर कल हो जाएगा। बता दें, आदिवासी विकास और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम की अगुवाई में कांग्रेस के आदिवासी विधायकों का दल राजभवन पहुंचा था। इसमें अधिकतर विधायक सरगुजा संभाग और मध्य क्षेत्र के थे। बस्तर क्षेत्र से केवल शिशुपाल शोरी और सावित्री मंडावी ही प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे। यहां करीब एक घंटे तक उनकी राज्यपाल अनुसुइया उइके से बातचीत हुई।

राज्यपाल ने इन 10 सवालों का मांगा था जवाब

1-संशोधित विधेयक में क्रमांक १८-१९ पारित करने के पूर्व अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया था?

सुप्रीम कोर्ट में इंद्रा साहनी मामले के अनुसार ५० प्रतिशत से अधिक विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थतियों में ही आरक्षण दिया जा सकता है। अत: उक्त विशेष बाध्यकारी परिस्थिति का विवरण क्या है?।

2-राज्य शासन ने हाईकोर्ट में १९ सितंबर २०२२ को ८ सारणी में विवरण भेजा था, जिस पर कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई विशेष प्रकरण निर्मित नहीं है, कि ५० प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जाए। इस निर्णय के बाद ऐसी क्या विशेष परिस्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके कारण आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई?

3-सुप्रीम कोर्ट में इंद्रा साहनी के मामले में कहा गया था कि एससी-एसटी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए नागरिकों में आते हैं। इस संबंध में राज्य के एससी-एसटी व्यक्ति किस प्रकार पिछड़े हुए हैं?

4-मंत्री परिषद में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य के आरक्षण के प्रतिशत का उल्लेख है। इन राज्यों में आरक्षण ५० प्रतिशत से अधिक किए जाने से पहले आयोग का गठन किया गया था। छत्तीसगढ़ में इसके लिए कौन सी कमेटी गठित की गई?

5-सामान्य प्रशासन विभाग ने क्वांटिफाइबल डाटा आयोग के गठन का उल्लेख किया है, जिसकी रिपोर्ट शासन के पास है। यह रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत क्यों नहीं की गई?

6-सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय प्रस्ताव अर्थात प्रस्तावित संशोधन के संबंध में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का अभिमत अपेक्षित होना लिखा है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?

7-विधेयक में नवीन धारा स्थापित कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को ४ प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

8-क्या शासन को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद १६(६) के तहत पृथक से अधिनियम लाना चाहिए था?

9-हाईकोर्ट में राज्य शासन ने बताया है कि एससी-एसटी के व्यक्ति कम संख्या में चयनित हो रहे हैं। ऐसे में यह बताएं कि एससी-एसटी राज्य की सेवाओं में क्यों चयनित नहीं हो रहे हैं?

10-एसटी को ३२, ओबीसी को २७, एससी को १३, इस प्रकार कुल ७२ प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया और क्या इस संबंध में कोई सर्वेक्षण किया गया है?