रायपुर। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत (Former minister Amarjeet Bhagat) अपने ही पार्टी के नेताओं से नाराज क्यों चल रहे हैं? अपने बयानों में लगातार अमरजीत भगत शीर्ष नेताओं को टारगेट करते हुए नजर आ रहे हैं। ताजा बयान निकाय चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सामने आया है। जहां एक तरफ उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं (Top leaders of Congress) में सामंजस्य की कमी को हार का कारण बताया है तो दूसरी ओर कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बताने वाला बयान दे दिया है।
अमरजीत भगत ने अपने ही पार्टी पर आदिवासियों को नजरअंदाज करने का बड़ा आरोप लगाया है. टीएस सिंहदेव के प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने का वो फिर विरोध करते हुए नजऱ आए है। उन्होंने कहा कि उधर बीजेपी ने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया है। इधर एक आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की तैयारी है, इससे समाज में क्या संदेश जाएगा। ऐसा कह कर उन्होंने एक बार फिर आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की ओर इशारा किया है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं को सिर्फ बस्तर के आदिवासियों पर ध्यान होता है. सरगुजा के आदिवासियों की पूछ-परख नहीं है, सरगुजा क्षेत्र के आदिवासी कही नहीं दिखते. पार्टी को सरगुजा के आदिवासियों पर देना चाहिए ध्यान।
वहीं प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में स्वयं को कहा पाने वाले सवाल का जवाब अमरजीत भगत ने आइडियोलॉजी सेट करने वाले नेताओं पर निर्भर होने की बात कही है कि वो भगत को कहा सेट करते हैं. एक बार फिर उन्होंने कहा है कि वे सरगुजा के वरिष्ठ आदिवासी नेता है लेकिन उनको चुनाव समिति में शामिल नहीं किया गया। यदि शामिल किया गया होता तो चिरमिरी और अंबिकापुर के परिणाम कुछ और होते। अपने बयानों के सहारे भगत ने आज कांग्रेस में बिखराव की स्थिति की चर्चा पर मुहर लगा दी है। अमरजीत भगत ने सरगुजा के आदिवासियों को नजरअंदाज करने की बात कह कर खुद को आदिवासी हितैषी बताने वाली कांग्रेस पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
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