कौन बनेगा मुख्य सूचना आयुक्त? प्रशासनिक हलकों में चर्चाओं का दौर, जैन बनाम जुनेजा की दिलचस्प मुकाबला

By : dineshakula, Last Updated : March 27, 2025 | 11:54 am

रायपुर |  छत्तीसगढ़ में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद की दौड़ ने राजधानी रायपुर के सिविल सर्किट हाउस को बुधवार को अफसरशाही की रस्साकशी का केंद्र बना दिया। जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्य सचिव पद से रिटायर होने वाले अफसर अमिताभ जैन अपनी उम्मीदवारी को लेकर चर्चा में रहे, वहीं दूसरी तरफ पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा का दिल्ली से आकर इंटरव्यू में शामिल होना तमाम अटकलों को जन्म दे गया।

मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्ष पदों पर एक साथ काम कर चुके ये दोनों अफसर अब एक ही संवैधानिक कुर्सी के दावेदार हैं – मुख्य सूचना आयुक्त। बात सिर्फ नामों की नहीं है, बल्कि उस संकेत की भी है जो यह दौड़ राज्य की नौकरशाही को लेकर देती है।

इंटरव्यू का मंच और गैरहाजिर दावेदार

मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी, जिसकी अध्यक्षता एसीएस मनोज पिंगुआ कर रहे हैं, ने 33 आवेदकों को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन इनमें से सात लोग अनुपस्थित रहे। इनमें पूर्व मुख्य सचिव आरपी मंडल, पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी और पूर्व आईएएस अधिकारी अमृत खलको जैसे वरिष्ठ नाम भी शामिल हैं।

सुबह 11 बजे से शुरू हुए साक्षात्कार में सचिवालय के उच्चाधिकारियों ने शिरकत की। पैनल में प्रमुख सचिव निहारिका बारिक, सोनमणि बोरा और सचिव अविनाश चंपावत भी मौजूद रहे। लेकिन सारी निगाहें केवल दो चेहरों पर टिकी रहीं – जैन और जुनेजा।

जुनेजा की एंट्री और चर्चाओं की गर्माहट

अब तक सूचना आयोग जैसे पदों के लिए डीजीपी स्तर के अधिकारियों का आवेदन देना एक दुर्लभ घटना रही है। जुनेजा से पहले किसी डीजीपी ने इस पद के लिए आवेदन नहीं किया। ऐसे में उनका दिल्ली से रायपुर पहुंचकर इंटरव्यू में शामिल होना असाधारण माना जा रहा है।

दिलचस्प यह भी है कि जैन और जुनेजा दोनों ही 1989 बैच के अधिकारी हैं। वर्षों तक साथ काम किया, कई मौकों पर एक-दूसरे के पूरक रहे। लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। इंटरव्यू के दौरान भी दोनों के हावभाव में कोई प्रतिस्पर्धा नजर नहीं आई। न कोई तनाव, न कोई औपचारिकता – बल्कि पुरानी दोस्ती की झलक। यही बात नौकरशाही के गलियारों में चर्चा का कारण बन गई है।

जैन को आगे क्या?

अगर CIC की कुर्सी जुनेजा को मिलती है, तो सवाल उठता है – क्या मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए अमिताभ जैन के लिए अब कोई और संवैधानिक या अर्ध-संवैधानिक पद शेष है?

बिजली कंपनियों के चेयरमैन का पद ऐसी संभावनाओं में प्रमुख माना जा रहा है। यह पद, जिसे पूर्व में एसके मिश्रा, शिवराज सिंह और पी. जय उमेन जैसे वरिष्ठ अफसर संभाल चुके हैं, मुख्य सचिव पद के समकक्ष प्रतिष्ठा रखता है। मिश्रा और शिवराज ने तो रिटायरमेंट के बाद यह पद संभाला था, जबकि उमेन ने कार्यरत रहते अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाई।

आयोगों और पदों की गणित

राज्य चुनाव आयोग का कार्यकाल 2027 तक है, रेरा का अध्यक्ष पद फिलहाल खाली नहीं है। विद्युत नियामक आयोग में जुलाई 2026 में वेकेंसी होगी। ऐसे में जैन के लिए बिजली कंपनियों की चेयरमैनशिप ही सबसे संभावित विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

अंत में एक अनजाना नाम?

हालांकि चर्चाओं का बाजार गर्म है, लेकिन सूत्रों के अनुसार अंतिम निर्णय कुछ और भी हो सकता है। सर्च कमेटी के पास कुछ ऐसे नाम भी हैं जो अभी चर्चा में नहीं हैं, लेकिन योग्यता और निष्पक्षता के आधार पर मजबूत दावेदार हैं। ऐसे में यह भी संभव है कि न जैन, न जुनेजा – बल्कि कोई तीसरा, अपेक्षाकृत कम चर्चित नाम CIC पद की दौड़ में बाज़ी मार ले।

राज्य की नौकरशाही में यह मुकाबला केवल एक पद का नहीं, बल्कि ताकत और प्रतिष्ठा के संतुलन का प्रतीक बन चुका है। अब देखना है कि इस खेल में आख़िरी चाल किसके हिस्से आती है।