मांग में सजते सिंदूर का भी होता है पौधा, बीज से सौंदर्य प्रसाधन तक का सफर दिलचस्प

हर ब्याहता हिंदू महिला का अहम श्रृंगार होता है इंगूर यानि सिंदूर। मांग में सजने से पहले ये एक लंबी यात्रा तय करता है। वैसे तो मैन मेड वर्मिलन

  • Written By:
  • Publish Date - March 19, 2025 / 02:19 PM IST

नई दिल्ली, 19 मार्च (आईएएनएस)। हर ब्याहता हिंदू महिला का अहम श्रृंगार होता है इंगूर यानि सिंदूर(Vermilion)। मांग में सजने से पहले ये एक लंबी यात्रा तय करता है। वैसे तो मैन मेड वर्मिलन (सिंदूर) के बारे में हम सब जानते ही हैं जो चुना, हल्दी और मरकरी को सही अनुपात में मिलाकर बनता है, लेकिन एक तथ्य ये भी है कि सुहागन का ये श्रृंगार पौधे के बीज(seeds of makeup plant) से भी बनता है। हर्बल सिंदूर की इस यात्रा की कहानी बड़ी रोचक है।

सिंदूर के इस पेड़ को अंग्रेजी में कुमकुम ट्री या कमील ट्री कहते हैं। मैलोटस फिलिपेंसिस स्पर्ज परिवार का एक पौधा है। ऐसा नहीं है कि हर जगह उपलब्ध होता है, बल्कि इसे देखना हो तो आपको साउथ अमेरिका या अपने देश में महाराष्ट्र या हिमाचल प्रदेश का रुख करना होगा। यहां भी गिने-चुने इलाकों में दिखता है।

अन्य वनस्पति की तरह ये एक ऐसा पौधा होता है जिसमें से जो फल निकलते हैं, उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनता है। कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं। इसके एक पौधे में से एक बार में एक या डेढ़ किलो तक सिंदूर फल निकलता है, और इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलो से ज्यादा होती है।

कमीला का पेड़ 20 से 25 फीट तक ऊंचा होता है, यानी एक नींबू के पेड़ जितना ही। पेड़ के फल से जो बीज निकलते हैं, उसे पीसकर सिंदूर बनाया जाता है, क्योंकि यह बिल्कुल नेचुरल होता है। बनाने वाले को कोई नुकसान भी नहीं होता क्योंकि लाल चटख रंग प्राकृतिक होता है, इसमें कोई मिलावट नहीं होती।

दिखते कैसे हैं इसके फल? कमीला के पेड़ पर फल गुच्छों में लगते हैं, जो शुरू में हरे रंग का होता है, लेकिन बाद में यह फल लाल रंग में बदल जाता है। इन फलों के अंदर ही सिंदूर होता है। वह सिंदूर छोटे-छोटे दानों के आकार में होता है, जिसे पीसकर बिना किसी दूसरी चीजों की मिलावट की सीधे तौर पर प्रयोग में लाया जा सकता है। यह शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही उपयोगी है। सेहत के लिए ऐसे कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। सिंदूर का इस्तेमाल न सिर्फ मांग भरने के लिए होता है, बल्कि इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को भी लाल रंग देने के लिए भी होता है।

इसका उपयोग टॉप क्लास हर्बल लिपस्टिक बनाने में किया जाता है। इतना ही नहीं, कई दवाओं में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश जैसे कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है।

कमर्शियल यूज में रेड इंक बनाने, पेंट के लिए इस्तेमाल करने, साबुन में होता है। रेड डाई का इस्तेमाल जहां-जहां हो सकता है, वहां इस पौधे का प्रयोग किया जाता है।

इसे लगाने के दो तरीके हैं। दोनों ही बहुत पारंपरिक और आम से! पहला बीज को प्लांट कर और दूसरा तैयार पौधे को कलम की मदद से लगाया जा सकता है।

लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि लगाने के बाद यह लहलहाने लगेगा, तो ऐसा नहीं है। सिंदूर का पौधा घर में आसानी से नहीं उग सकता, क्योंकि इसके लिए एक अलग तरह की जलवायु चाहिए। इतना ही नहीं, अगर आप इसके पौधे को ज्यादा पानी या खाद देंगे, तो पौधा पनप नहीं पाएगा और अगर कम दिया, तो इसमें फल नहीं आ पाएंगे।

एफ्रीकन जर्नल ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च में छपी खबर के मुताबिक बिक्सा ओरेलाना में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण होते हैं। इसके चिकित्सकीय विशेषताओं को लेकर प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया कि बीजों से प्राप्त आवश्यक प्राकृतिक रंग, जिसे बिक्सिन कहा जाता है, का व्यापक रूप से खाद्य, औषधीय, कॉस्मेटिक और कपड़ा उद्योगों में उपयोग किया जाता है। इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग दस्त, बुखार, त्वचा संक्रमण आदि जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

यह भी पढ़ें:  बैगा आदिवासी क्षेत्र में नलकूप खनन में धांधली का मामला सदन में गूंजा