भोपाल, 21 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित दुकानों पर नाम पट्टिका (name plates) लगाने के फैसले का असर मध्य प्रदेश में भी नजर आने लगा है। यहां भी इसी तरह का फैसला लिए जाने की मांग उठने लगी है और संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में राज्य में भी इसी तरह का फैसला हो सकता है।
सावन माह में कांवड़ यात्राएं निकाली जाती हैं, इन यात्राओं में शामिल लोग अपनी शुद्धता और पवित्रता का खास ख्याल रखते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कावड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित होटल -ढाबे से लेकर तमाम दुकानों पर नाम पट्टिका लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश के भी बड़े हिस्सों से कांवड़ यात्रा निकलती हैं, लिहाजा यहां भी इसी तरह का फैसला लिए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इंदौर से नाता रखने वाले भाजपा के दो विधायक रमेश मेंदोला और मालिनी गोड़ ने तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर दुकान मालिकों का नाम दुकान के बाहर दर्ज करने को अनिवार्य किए जाने की मांग की है।
जबलपुर के विधायक अशोक रोहाणी ने भी खान-पान व फलों की दुकानों के बाहर मालिक का नाम लिखने का समर्थन किया है। राज्य में उज्जैन ऐसा नगर है, जहां नगर निगम ने लगभग एक साल पहले दुकानों के बाहर मालिक की नाम पट्टिका लगाने का आदेश जारी किया था। इस आदेश पर अब तक वहां अमल नहीं हुआ है। अब नगर निगम सख्त हो चली है और उसने दुकानदारों को एक बार फिर हिदायत देते हुए नाम पट्टिका न लगाने पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर ली है।
सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार भी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर फैसला करने को लेकर मंथन कर रही है। आगामी दिनों में राज्य सरकार भी कोई फैसला कर सकती है इसे नकारा नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि उज्जैन नगर निगम ने एक साल पहले ही इसी तरह का फैसला लेकर राज्य सरकार से पूरे प्रदेश में लागू करने का प्रस्ताव भेजा था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने को सख्त प्रशासक बताने के साथ अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए कई फैसले ले रहे हैं। लिहाजा यह एक अवसर है उनके पास जो उन्हें बड़ी पहचान दिला सकता है, इसलिए इस बात की संभावना है कि राज्य में दुकान के बाहर मालिकों की नाम पट्टिका लगाने का फैसला हो सकता है।