नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)| संसद (Parliament) के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू होने जा रहा है। बजट सत्र (Budget Session) के इस दूसरे चरण के दौरान भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हंगामे के आसार नजर आ रहे हैं। इसके 6 अप्रैल तक चलने की संभावना है।
बजट सत्र के पहले चरण के दौरान विपक्षी दलों ने अडानी को लेकर आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर संसद के दोनों सदनों — लोक सभा और राज्य सभा — में जमकर हंगामा किया था। लोक सभा में विपक्षी दलों के हंगामे के बावजूद कुछ कामकाज तो हुआ लेकिन राज्य सभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध लगातार जारी रहा।
आपको बता दें कि बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन 13 फरवरी को भी लोक सभा की कार्यवाही तो दिनभर सुचारू रूप से चली थी, लेकिन राज्य सभा में आखिरी दिन भी हंगामा जारी रहा। जिसके कारण राज्य सभा के सभापति धनखड़ को सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित करनी पड़ी थी।
लेकिन संसद के बजट सत्र के दो चरणों के बीच इस एक महीने के अवकाश के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के संबंधों के बीच और ज्यादा खटास आ गई है जिसका असर संसद की कार्यवाही पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल के बाद आम आदमी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया को सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी और बीआरएस के विस्तार के अभियान में जुटी के.कविता से ईडी ने दिल्ली बुलाकर पूछताछ की है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के परिवार पर भी जांच एजेंसी लगातार शिकंजा कस रही है।
एक तरफ जहां सत्ताधारी भाजपा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेशी धरती पर जाकर भारत के लोगों और भारतीय लोकतंत्र का अपमान करने का आरोप लगा रही है तो वहीं कांग्रेस, टीएमसी और बीआरएस जैसे विरोधी दल जांच एजेंसियों के दुरुपयोग, एलआईसी एवं एसबीआई द्वारा निजी कंपनियों में किए गए निवेश, महंगाई और महिला आरक्षण समेत अन्य कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। राहुल गांधी के खिलाफ दिए गए विशेषाधिकार हनन के मामले को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है।
शुक्रवार को लोक सभा की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी पर आदतन विशेषाधिकार हनन करने का आरोप लगाते हुए उनकी लोक सभा सदस्यता रद्द करने की मांग की तो वहीं कांग्रेस के साथ-साथ टीएमसी और डीएमके के सांसद ने भी राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का कोई मामला ही नहीं बनता।
लोक सभा में सरकार और विपक्ष के बीच जारी तकरार को लेकर हंगामे के आसार बन रहे हैं लेकिन राज्य सभा में तो विपक्षी दल सरकार के साथ-साथ उपराष्ट्रपति एवं सभापति जगदीप धनखड़ को ही घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, संसदीय समितियों में उपराष्ट्रपति धनखड़ द्वारा अपने निजी स्टाफ की नियुक्ति करने को लेकर भी देश में नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे लेकर सीधे उपराष्ट्रपति पर ही सवाल उठा दिया है। कई अन्य विपक्षी दल भी इसकी आलोचना कर रहे हैं। विपक्षी दल राज्य सभा में भी इस मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
हालांकि धनखड़ स्वयं अपने इस फैसले का बचाव करते हुए यह कह चुके हैं कि कुछ समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों ने उन्हें सुझाव दिया था कि वे समितियों की उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें अधिक प्रभावकारी बनाने के लिए कुछ करें और इन्ही सुझावों को स्वीकार करते हुए उन्होंने समितियों को और अधिक कुशल और प्रशिक्षित मानव संसाधन देने के लिए ये नियुक्तियां की है।
उन्होंने इस फैसले को लेकर की जा रही आलोचना को खारिज करते हुए यह भी कहा कि इन नियुक्तियों का फैसला करने से पहले समितियों के सदस्यों और अध्यक्षों से व्यापक विमर्श किया गया है। लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनकी इस सफाई पर भी सवाल खड़ा कर दिया। धनखड़ पिछले कुछ दिनों से जिस अंदाज में सार्वजनिक रूप से संसद में माइक बंद किए जाने के राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह से गलत और असत्य करार देते हुए कांग्रेस सांसद पर विदेश जाकर भारत को बदनाम करने का आरोप लगा रहे हैं उससे भी कांग्रेस असहज नजर आ रही है।
हालांकि राज्य सभा की कार्यवाही को सुचारू ढंग से चलाने में सभी दलों से सहयोग करने की अपील करने के लिए उपराष्ट्रपति धनकड़ ने रविवार को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। हालांकि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलने की संभावना बहुत कम ही नजर आ रही है।