धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश: तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा (Dalai Lama) ने आज यह पुष्टि की कि उनकी मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी होगा, जिससे यह साफ हो गया कि दलाई लामा की 600 साल पुरानी परंपरा आगे भी बनी रहेगी। यह निर्णय तिब्बतियों के लिए ऐतिहासिक है, जिन्होंने भविष्य में अपने नेता के बिना जीवन के बारे में चिंता जताई थी, और दुनियाभर में उनके समर्थकों के लिए भी यह संजीवनी है, जो दलाई लामा को अहिंसा, करुणा और तिब्बती सांस्कृतिक पहचान के संघर्ष का प्रतीक मानते हैं।
दलाई लामा ने कहा कि पिछले 14 वर्षों से निर्वासित तिब्बतियों, हिमालयी क्षेत्र के बौद्धों, मंगोलिया और रूस तथा चीन के कुछ हिस्सों से उन्हें कई बार यह अनुरोध मिला कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाए। उन्होंने कहा, “विशेष रूप से तिब्बत के अंदर से भी इसी प्रकार के संदेश आए हैं, जिनमें दलाई लामा की संस्था को जारी रखने की अपील की गई है।”
उनके इस बयान के साथ यह भी स्पष्ट किया गया कि भविष्य के दलाई लामा का चयन “गाडेन फोड्रांग ट्रस्ट” द्वारा किया जाएगा, जो दलाई लामा का कार्यालय है। उन्होंने कहा, “मैं यह फिर से स्पष्ट करता हूं कि गाडेन फोड्रांग ट्रस्ट के पास ही भविष्य के पुनर्जन्म को पहचानने का एकमात्र अधिकार है, और इस मामले में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।”
दलाई लामा ने 2011 में राजनीतिक अधिकारों को निर्वासित सरकार को सौंप दिया था, जिसे 130,000 तिब्बतियों ने लोकतांत्रिक तरीके से चुना था। इस दौरान उन्होंने चेतावनी दी थी कि उनके आध्यात्मिक पद के भविष्य को “राजनीतिक स्वार्थ” के लिए नुकसान पहुंचाने का खतरा हो सकता है।