जानिए कौन हैं कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह, जिन्होंने रचा ऑपरेशन सिंदूर का logo
By : hashtagu, Last Updated : May 28, 2025 | 10:11 am

नई दिल्ली: 7 मई को जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की, तो मैदान में शौर्य और रणनीति का जोश था, तो वहीं डिज़िटल मोर्चे पर एक लोगो ने करोड़ों दिलों को छू लिया। काले रंग की पृष्ठभूमि पर सफेद अक्षरों में लिखा “Operation Sindoor”, और उसमें ‘O’ को एक सिंदूर भरी कटोरी के रूप में दर्शाया गया-यह सिर्फ एक डिज़ाइन नहीं, बल्कि भारतीय नारी के आत्मसम्मान, पीड़ा और शक्ति का गहरा प्रतीक बन गया।
अब यह सवाल सबके मन में था कि इतनी भावनात्मक पकड़ रखने वाला यह लोगो आखिर किसने बनाया?
सेना के दो जांबाज़: डिज़ाइन के योद्धा
इस प्रभावशाली लोगो के पीछे थे कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह। दोनों भारतीय सेना के स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशन डिवीजन से जुड़े हैं। कर्नल हर्ष गुप्ता पंजाब रेजीमेंट से हैं, जबकि हवलदार सुरिंदर सिंह का संबंध आर्मी एजुकेशन कोर से है।
दोनों ने मिलकर इस लोगो को महज 45 मिनट में तैयार कर दिया—जिसने आगे चलकर न सिर्फ सोशल मीडिया की तस्वीर बदल दी, बल्कि सेना के साहस और भारतीय संस्कृति के मेल का एक प्रतीक बन गया।
लोगो में क्यों था सिंदूर का जिक्र?
सिंदूर, भारतीय परंपरा में नारी के सुहाग का प्रतीक है। पहलगाम आतंकी हमले में कई महिलाएं विधवा हुईं—उनका दर्द, उनकी पीड़ा, और उनका साहस इस लोगो के माध्यम से दर्शाया गया। इसलिए इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” रखा गया और उसका लोगो भी उसी भावनात्मक गहराई के साथ बनाया गया।
सोशल मीडिया पर जबरदस्त असर
सेना के मुताबिक, यह लोगो एक्स (Twitter) पर 9 करोड़ और इंस्टाग्राम पर 51 करोड़ बार देखा जा चुका है। यह लोगो इतना लोकप्रिय हुआ कि लाखों लोगों ने इसे अपनी WhatsApp डीपी और प्रोफाइल पिक्चर बना लिया।
पीएम मोदी की मंजूरी से बना नाम और पहचान
इस अभियान के नाम और लोगो को अंतिम मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी। यह नाम उन महिलाओं की पीड़ा का प्रतीक है, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपनों को खोया। प्रधानमंत्री की मंशा थी कि ऑपरेशन का नाम और प्रतीक भारतीय भावना से जुड़ा हो—और ये दोनों ही बातें इस लोगो में साफ झलकती हैं।
‘बातचीत’ पत्रिका में हुई पुष्टि
भारतीय सेना की आंतरिक पत्रिका ‘बातचीत’ के नवीनतम संस्करण में दोनों सैनिकों की तस्वीरें भी प्रकाशित की गई हैं और उनके योगदान की सराहना की गई है।
इस लोगो ने यह सिद्ध कर दिया है कि रणनीति सिर्फ बंदूकों से नहीं, बल्कि भावनाओं से भी जीती जाती है। कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह ने एक ऐसा प्रतीक रचा है, जो अब भारतीय सैन्य इतिहास में अमिट बन गया है।