नई दिल्ली। भारत द्वारा चलाए गए सफल आतंकवाद विरोधी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के बाद पाकिस्तान एक बार फिर अपनी पुरानी चालों पर उतर आया है। पाकिस्तान सरकार से जुड़े मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया खातों ने इस अभियान से जुड़ी सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश करने की नापाक कोशिश की, जो अब पूरी तरह उजागर हो चुकी है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन में कई आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिसे भारत की आतंक के विरुद्ध निर्णायक रणनीति के एक अहम पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है।
इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने सोशल मीडिया को अपने दुष्प्रचार का हथियार बना लिया। एक्स (पूर्व में ट्विटर) सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर पाकिस्तान समर्थित मीडिया हाउसों और सोशल मीडिया हैंडल्स ने झूठी और भ्रामक खबरें प्रसारित करनी शुरू कर दीं।
सबसे अधिक चर्चित झूठा दावा यह रहा कि पाकिस्तान ने अमृतसर में भारतीय सेना के एक अड्डे पर हवाई हमला किया है। इस दावे को सच साबित करने के लिए जिस वीडियो का इस्तेमाल किया गया, उसमें आसमान में धधकती आग को दिखाया गया था। परंतु जब इस वीडियो की तथ्यात्मक जांच हुई, तो सामने आया कि यह क्लिप भारत या पाकिस्तान से संबंधित नहीं है, बल्कि वर्ष 2024 में चिली के वालपाराइसो में लगी एक जंगल की आग की है।
भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट-चेक इकाई ने इस झूठ को तुरंत उजागर करते हुए स्पष्ट किया, “पाकिस्तान प्रोपेगैंडा अलर्ट! पाकिस्तान से संचालित कुछ हैंडल्स अमृतसर में सैन्य अड्डे पर हमले का फर्जी दावा करते हुए पुराना और असंबंधित वीडियो शेयर कर रहे हैं। यह वीडियो वर्ष 2024 में चिली की जंगल की आग का है। कृपया ऐसी असत्यापित खबरों से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।”
इसके बावजूद, पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) समेत कई अन्य अकाउंट्स ने भ्रामक कंटेंट फैलाने की मुहिम जारी रखी। पाकिस्तान से साझा की गई कई तस्वीरें और वीडियो या तो डिजिटल रूप से एडिट की गई थीं या फिर किसी अन्य देश और काल की घटनाओं से ली गई थीं।
विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने इस प्रवृत्ति को पाकिस्तान द्वारा भारत की सैन्य सफलता से उपजी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू छवि को धूमिल करने की एक संगठित सूचना युद्ध रणनीति बताया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति रही है कि वह झूठे वीडियो और पुराने युद्धकालीन फुटेज के माध्यम से भारत के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ता रहा है।
इन हालातों के मद्देनजर भारत सरकार ने जनता और मीडिया दोनों से अपील की है कि वे केवल सरकार द्वारा प्रमाणित और आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें और असत्यापित खबरों के प्रसार से बचें।