विवेकानंद भारतीय मूल्यों के प्रतीक और युवाओं के लिए प्रेरणापुंज थे : खड़गे

खड़गे ने कहा कि स्वामी जी ने कहा था, सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है। उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है। और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है। न जाने कितनी सभ्यताएं तबाह हुईं और कितने देश मिटा दिए गए।''

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  • Publish Date - January 12, 2023 / 11:58 AM IST

नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)| कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के मौके पर लोगों को हार्दिक बधाई दी है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “यह दिन भारत के महानतम दार्शनिकों में से एक स्वामी विवेकानंद जी (Swami Vivekananda) की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। विवेकानंद जी भारतीय मूल्यों के प्रतीक और हमारे युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज थे। स्वामी जी के विचारों और आदर्शो को श्रद्धांजलि के रूप में राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया। स्वामी जी ‘भारत जोड़ो’ में विश्वास करते थे, जो की भारत के आंतरिक मूल्यों में रचा-बसा है। जिसको उन्होंने 1893 में शिकागो में ‘विश्व धर्म संसद’ में अपने ऐतिहासिक भाषण से स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया था, जिसके कुछ अंश मैं आज याद करना चाहता हूं।”

खड़गे ने कहा कि स्वामी जी ने कहा था, सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है। उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है। और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है। न जाने कितनी सभ्यताएं तबाह हुईं और कितने देश मिटा दिए गए।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज हमारे करोड़ों लोग भारत को एक करने की आकांक्षा व सपने देखने में और समाज में फैली नफरत को मिटाने के लिए आतुर हैं। स्वामी जी का संदेश हम सभी के लिए, विशेष रूप से हमारे युवाओं के लिए मार्गदर्शक प्रकाश बना हुआ है।

भारत दुनिया की युवा आबादी का पांचवां हिस्सा है। भारत का युवा बदलाव को बेकरार हैं। वे बेहतर और सुरक्षित जीवन का सपना देख रहें है। और चाहते हैं कि भारत वैश्विक प्रगति के शिखर पर विराजमान हो। हम जानते हैं कि यह तभी संभव हो सकता है। जब हम धर्म, जाति, भाषा, जातीयता, रंग, पंथ या लिंग की बाधाओं को हम तोड़ दें।

अंत में खड़गे ने कहा कि सद्भाव में रहने वाला समाज ही इसे प्राप्त कर सकता है। तो आइए हम इस बदलाव की शुरूआत करने के लिए साथ आएं। जैसे स्वामी विवेकानंद जी ने कहा उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये!