पटना: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 71 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची के साथ बीजेपी ने सिर्फ नामों का ऐलान नहीं किया, बल्कि स्पष्ट राजनीतिक संकेत, रणनीति और कुछ जोखिम भी सामने रखे हैं। कुल 243 सीटों में एनडीए के बीच तय सीट बंटवारे के अनुसार बीजेपी को 101 सीटें मिली हैं, जिसमें से अब वह केवल 30 और नामों की घोषणा करेगी।
सीट बंटवारा: एनडीए का संतुलन
एनडीए के तहत सीटों का बंटवारा इस प्रकार हुआ है:
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बीजेपी – 101 सीटें
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जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) – 101 सीटें
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लेजेपी (राम विलास) – 29 सीटें
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हम (जीतन राम मांझी) – 6 सीटें
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आरएलएम (उपेंद्र कुशवाहा) – 6 सीटें
इस संतुलन से एनडीए ने गठबंधन में सभी प्रमुख दलों को सम्मानजनक भागीदारी देने की कोशिश की है।
बीजेपी की सूची: जोखिम और संदेश
बीजेपी ने इस सूची में कई पुराने चेहरों की जगह नए उम्मीदवारों को टिकट देकर सत्ता विरोधी लहर को काटने और ताज़गी का संदेश देने की कोशिश की है। कई पूर्व विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया गया है, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी बदलाव के मूड में है और जमीन पर काम कर रहे नए चेहरों को मौका देना चाहती है।
साथ ही पार्टी ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं को सीधे चुनावी मैदान में उतार कर यह संदेश दिया है कि केंद्रीय नेतृत्व खुद चुनाव को गंभीरता से ले रहा है और राज्य में अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 के लिए निम्नलिखित नामों पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है। (1/2) pic.twitter.com/ykVM5tVevY
— BJP (@BJP4India) October 14, 2025
राजनीतिक जोखिम: स्थानीय असंतोष और टिकट कटौती
हालांकि, पूर्व विधायकों के टिकट काटने से कुछ जिलों में पार्टी को असंतोष का सामना भी करना पड़ सकता है। यह एक राजनीतिक जोखिम है जिसे पार्टी ने चुनावी लाभ के लिए उठाया है। स्थानीय नेताओं की नाराजगी का असर बूथ स्तर पर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
क्या है बीजेपी की रणनीति?
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एंटी-इंकम्बेंसी को मात देने की कोशिश: पुराने चेहरों को बदलकर जनता में नई उम्मीदें जगाना।
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युवा और जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देना: लंबे समय से मेहनत कर रहे कार्यकर्ताओं को टिकट देना।
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गठबंधन संतुलन बनाए रखना: सभी घटक दलों को सम्मानजनक सीटें देकर एकजुटता बनाए रखना।
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बड़े नेताओं को मैदान में उतारना: इससे कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा और जनता में भरोसा भी।
बीजेपी की पहली सूची से यह साफ हो गया है कि पार्टी चुनाव में किसी भी तरह का खतरा मोल लेने को तैयार है — चाहे वो पुराने नेताओं की नाराजगी हो या नए चेहरों पर भरोसा जताना। यह दांव कितना असरदार रहेगा, इसका जवाब मतदाता ही देंगे।
