भीषण गर्मी और सिंधु जल संकट के बीच पाकिस्तान को जल संकट की बड़ी मार, खरीफ फसल पर मंडरा रहा खतरा
By : hashtagu, Last Updated : June 2, 2025 | 4:26 pm

By : hashtagu, Last Updated : June 2, 2025 | 4:26 pm
इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) इस समय भीषण जल संकट से जूझ रहा है, जो विशेष रूप से पंजाब प्रांत के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। सिंधु नदी प्रणाली में जल की भारी कमी देखी जा रही है, जिसमें सिंधु, झेलम और चेनाब नदियाँ शामिल हैं। पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार किया है कि सिंधु पर स्थित टरबेला और झेलम पर स्थित मंगला डैम में जलस्तर चिंताजनक रूप से गिर चुका है, जबकि चेनाब नदी में अचानक जलप्रवाह में कमी आई है। यह कमी भारत द्वारा पानी की आपूर्ति में कटौती के बाद दर्ज की गई है, जो कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई है।
2 जून 2025 को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिंधु जल प्रणाली में जल उपलब्धता पिछले वर्ष की तुलना में 10.3% कम हो चुकी है। इस समय पानी की कुल उपलब्धता केवल 1,28,800 क्यूसेक दर्ज की गई है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 14,800 क्यूसेक कम है।
ये हालात खरीफ फसलों की बुवाई के समय किसानों के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं, क्योंकि दक्षिण-पश्चिमी मानसून अभी कम से कम चार सप्ताह दूर है। तापमान में लगातार बढ़ोतरी और जल स्रोतों की कमी से सिंचाई संकट और गहराने की आशंका है। बीते महीने पाकिस्तान सरकार ने भी इस गर्मी में 21% जल संकट का पूर्वानुमान जताया था और डैम प्राधिकरणों को जल के विवेकपूर्ण उपयोग की सलाह दी थी। टरबेला और मंगला डैम की जल भंडारण क्षमता में भी 50% की भारी कमी दर्ज की गई है।
इस गंभीर संकट के मद्देनज़र प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया। उन्होंने विशेष रूप से भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करने का भी उल्लेख किया, जिसके कारण पाकिस्तान को जलस्तर संबंधित महत्वपूर्ण डेटा भी नहीं मिल रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के अनुसार, सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों पर पाकिस्तान का अधिकार है जबकि रावी, ब्यास और सतलुज नदियाँ भारत को मिली हैं। संधि के तहत भारत को कुल जल का 20% और पाकिस्तान को 80% हिस्सेदारी मिलती है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत और कई अन्य के घायल होने के बाद भारत ने संधि पर अमल फिलहाल रोक दिया है।
इस कदम के चलते भारत ने अब तीनों प्रमुख नदियों के जलस्तर की जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा करना भी बंद कर दिया है। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए खास तौर पर मानसून के समय बेहद खतरनाक साबित हो सकती है क्योंकि भारत की ओर से मिलने वाली अग्रिम चेतावनी से निचले इलाकों में बाढ़ से पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सकता था।
पाकिस्तान की कृषि, सिंचाई और ऊर्जा आपूर्ति इस जल संकट से गहरे संकट में आ गई है, और आने वाले हफ्ते यदि मानसून में देरी हुई तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।