अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज दिए जाने के अपने फैसले का बचाव किया है। भारत की कड़ी आपत्तियों के बावजूद, IMF ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर (लगभग 8,000 करोड़ रुपये) की नई किस्त जारी की है। भारत ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा था कि आर्थिक सहायता का मतलब है अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को समर्थन देना, खासकर ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित आतंकवाद को अंजाम दे रहा है।
भारत ने IMF से इस बेलआउट पर पुनर्विचार करने की अपील की थी और तर्क दिया था कि पाकिस्तान की धरती से भारतीय नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जाती है। इसके जवाब में IMF के संचार विभाग की डायरेक्टर जूली कोजैक ने कहा कि पाकिस्तान ने लोन की अगली किस्त पाने के लिए सभी जरूरी शर्तें पूरी की हैं और आर्थिक सुधारों पर प्रगति भी दिखाई है। इसी आधार पर IMF के बोर्ड ने लोन को मंजूरी दी।
कोजैक ने भारत-पाक संघर्ष पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे जानमाल के नुकसान पर खेद व्यक्त करते हैं और दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण समाधान की आशा करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय वित्तीय मानकों के आधार पर लिया गया है, न कि भू-राजनीतिक मसलों को ध्यान में रखकर।
IMF और पाकिस्तान ने 2023 में विस्तारित फंड सुविधा (EFF) के तहत 7 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते की पहली समीक्षा 25 मार्च 2025 को हुई थी और 9 मई को IMF बोर्ड ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकृति दी, जिसके बाद पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की राशि जारी की गई।
भारत ने IMF के इस कदम पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, खासकर ऐसे समय में जब वह आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन ‘सिंदूर’ जैसी कार्रवाई कर रहा है। भारत का मानना है कि ऐसे देशों को वित्तीय मदद देना वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करता है।