ईरानी रैप स्टार आमिर तातालू को ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा
By : hashtagu, Last Updated : June 9, 2025 | 12:17 pm

By : hashtagu, Last Updated : June 9, 2025 | 12:17 pm
नई दिल्ली: ईरान (Iran) के चर्चित और विवादित रैप गायक आमिर हुसैन मकसूदलू, जिन्हें आमतौर पर “तातालू” के नाम से जाना जाता है, को ईरान की सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई है। उन पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान सहित इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का आरोप है। इससे पहले उन्हें इसी तरह के आरोपों में पांच साल की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में अभियोजन पक्ष की आपत्ति के बाद यह मामला दोबारा खोला गया। पुनः समीक्षा के बाद अदालत ने पहले दिए गए फैसले को पलटते हुए जनवरी 2025 में मौत की सजा सुना दी।
आमिर तातालू का जन्म 21 सितंबर 1987 को तेहरान, ईरान में हुआ था। आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने 14 साल की उम्र में ही बढ़ई का काम शुरू कर दिया था और साथ ही पढ़ाई भी जारी रखी। किशोरावस्था में वह एक किराना दुकान पर काम करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने संगीत में करियर बनाने का फैसला किया। 2003 में उन्होंने अपना पहला सिंगल गाना रिलीज किया और अंडरग्राउंड संगीत की दुनिया में कदम रखा। 2014 फीफा वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने ईरानी फुटबॉल टीम के लिए “मैं भी उन ग्यारह खिलाड़ियों में से एक हूं” नामक गाना गाया।
तातालू को पॉप, आरएंडबी और रैप के अनोखे मेल के लिए जाना जाता है। 2015 में उन्होंने ईरान की परमाणु ऊर्जा नीति के समर्थन में “एनर्जी हस्ती” नामक गाना रिलीज किया, जिसका वीडियो ईरानी नौसेना के जहाज़ ‘दमावंद’ पर शूट किया गया था। यह गाना काफी विवादास्पद रहा, खासकर रिफॉर्मिस्ट वर्ग के बीच जिन्होंने इसकी तुलना 2009 के प्रदर्शनों में शजरीयान के गीतों से की।
2016 में उन्हें ईरानी पुलिस ने गिरफ्तार किया, उन पर इस्लामी नियमों का उल्लंघन करने वाले गीत और जीवनशैली को बढ़ावा देने का आरोप लगा। 2018 में उन्होंने तुर्की में शरण ली और वहां से एल्बम रिलीज़ करने लगे और बड़े कॉन्सर्ट आयोजित किए। 2020 में उन्होंने यह कहकर फिर विवाद खड़ा कर दिया कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों की शादी को अनुमति मिलनी चाहिए।
2021 में उनका पहला एल्बम “ज़ीरे हमकफ़” आया और इसके बाद उन्होंने कुल 21 एल्बम रिलीज़ किए। वे यूनिवर्सल म्यूज़िक ग्रुप के साथ काम करने वाले पहले ईरानी कलाकार बने। 2023 में तुर्की ने उन्हें ईरान को सौंप दिया, जहां उन्हें वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने, इस्लामी गणराज्य के खिलाफ प्रचार करने और अश्लील सामग्री फैलाने के आरोपों में 10 साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद जनवरी 2025 में ईशनिंदा के मामले में दोषी पाए जाने पर मई में उन्हें मौत की सजा दी गई।