नसरल्लाह की मौत के बाद अब कौन संभालेगा हिजबुल्लाह की कमान

नसरल्लाह, 30 साल की उम्र में 1992 में हिजबुल्लाह का महासचिव बना था। अगले 32 वर्षों में उसने हिजबुल्लाह को न सिर्फ लेबनान बल्कि मध्य पूर्व की एक बड़ी ताकत बना दिया

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  • Publish Date - September 29, 2024 / 06:53 PM IST

नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। हिजबुल्लाह (Hezbollah) चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि लेबानानी आतंकी ग्रुप का नेतृत्व अब कौन करेगा। इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने शुक्रवार देर रात बेरूत के दक्षिणी उपनगरीय इलाके दहिह में हिजबुल्लाह हेडक्वार्टर पर बड़ा हमला किया था जिसमें नसरल्लाह की मौत हो गई।

नसरल्लाह, 30 साल की उम्र में 1992 में हिजबुल्लाह का महासचिव बना था। अगले 32 वर्षों में उसने हिजबुल्लाह को न सिर्फ लेबनान बल्कि मध्य पूर्व की एक बड़ी ताकत बना दिया। वह इजरायल का दुश्मन नंबर एक बन गया। आखिरकार शुक्रवार को यहूदी राष्ट्र, अपने सबसे बड़े दुश्मन को खत्म करने में कामयाब रहा।

नसरल्लाह का विकल्प खोजना हिजबुल्ला के लिए खासा मुश्किल होगा। हालांकि उसकी जगह लेने के लिए हिजबुल्लाह के भीतर दो नामों पर चर्चा चल रही है।

अलजजीरा की शनिवार की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाशेम सफीद्दीन और नईम कासिम, नसरल्लाह के उत्तराधिकारी बनने की दौड़ में शामिल है।

हिजबुल्लाह की कार्यकारी परिषद के प्रमुख और नसरल्लाह के कजिन, सफीउद्दीन को व्यापक रूप से संगठन के अगले महासचिव बनने की दौड़ में आगे माना जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार 1964 में जन्मे सफीद्दीन ने शिया धार्मिक शिक्षा के दो मुख्य केंद्रों, इराकी शहर नजफ और ईरान के कोम में नसरल्लाह के साथ धर्मशास्त्र का अध्ययन किया। दोनों ही हिजबुल्लाह के शुरुआती दिनों में संगठन में शामिल हो गए।

सफीद्दीन का ईरान से करीब रिश्ता है। उसका भाई अब्दुल्ला ईरान में हिजबुल्लाह के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है। उसके बेटे, रेधा की शादी 2020 में अमेरिकी हमले में मारे गए टॉप ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की बेटी से हुई थी। बता दें ईरान का हिजबुल्लाह की स्थापना में अहम योगदान रहा है।

सफीद्दीन, कार्यकारी परिषद के प्रमुख के अलावा, हिजबुल्लाह की शूरा परिषद का एक अहम सदस्य और जिहादी परिषद का चीफ भी है। अमेरिका और सऊदी अरब ने सफीद्दीन को आतंकवादी घोषित किया है और उसकी संपत्तियां जब्त कर ली हैं।

71 वर्षीय नईम कासिम हिजबुल्लाह का उप महासचिव है। उसे अक्सर हिजबुल्लाह में ‘नंबर दो’ के रूप में देखा जाता है। कासिम का शिया राजनीति से लंबा जुड़ाव रहा है।

1970 के दशक में, वह इमाम मूसा अल-सदर के आंदोलन में शामिल हुआ। यही आंदोलन बाद में लेबनान में एक शिया ग्रुप के ‘अमल आंदोलन’ का हिस्सा बना। बाद में कासिम ने ‘अमल आंदोलन’ से अलग हो गया। उसने 1980 के दशक की शुरुआत में हिजबुल्लाह की स्थापना में मदद की। वह ग्रुप के संस्थापक धार्मिक विद्वानों में से एक है।

कासिम को 1991 में तत्कालीन महासचिव अब्बास अल-मुसावी के दौर में उप महासचिव चुना गया था। मुसावी को भी इजरायल ने मार गिराया था।